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Guru Purnima 2023: जाने कब मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, तिथि शुभ मुहुर्त और महत्व

my jyotish expert Updated 01 Jul 2023 03:40 PM IST
Guru Purnima 2023: जाने कब मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, तिथि शुभ मुहुर्त और महत्व
Guru Purnima 2023: जाने कब मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, तिथि शुभ मुहुर्त और महत्व - फोटो : google
गुरु पूर्णिमा का समय बेहद विशेष होता है, यह पूर्णिमा पर्व के साथ साथ गुरु की कृपा पाने का समय भी होता है. ज्ञान प्राप्ति, सुखी जीवन की कामना और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष समय माना जाता है. इस समय पर गुरु की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी प्रकार के अवरोध समाप्त हो जाते हैं. जीवन में उचित एवं अनुचित के प्रति एकाग्रता भी बढ़ती है.

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का त्यौहार 3 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा.  गुरु पूर्णिमा का दिन सभी देवताओं के प्रति भक्ति, आस्था, विश्वास कादिन होता है. इस दिन भक्त को शुद्ध भावना शारीरिक-मानसिक शुद्धि के साथ पूजन करना चाहिए. अपने इष्ट गुरु के दर्शन करने के साथ साथ उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. 

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गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 
सोमवार, 3 जुलाई 2023 को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. इस समय सुबह 10:15 बजे से 11:15 बजे तक अत्यंत शुभ समय है. इसके बाद दोपहर 12:15 से 1:30 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है. दोपहर बाद 4 बजे से 6 बजे तक लाभ-अमृत का शुभ समय है. बुधादित्य और ब्रह्म योग जैसे शुभ योग का संयोग भी इस दिन प्राप्त होगा.  

गुरु पूर्णिमा पर करें गुरु उपासना 
गुरु पूर्णिमा का समय गुरुओं की पूजा का समय होता है. इस समय पर व्यक्ति को अपने गुरुजनों का वंदन अवश्य करना चाहिए. अपने बड़ों, माता-पिता का वंदन एवं उन्हें नमन करते हुए श्रद्धा अनुरुप उपहार भी देने चाहिए. भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है. गुरु के द्वारा ही सच्चे निष्ठावान और दृढ़ निश्चयी शिष्य की उत्पत्ति होती है.

गुरु में ही ईश्वर का स्वरुप है और गुरु ही ईश्वर के दर्शन कराकर जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त करवा सकता है. गुरु अपने शिष्य के हृदय में ज्ञान का प्रकाश फैला सकता है, उसे अज्ञानता के घोर अंधकार से बाहर निकाल सकता है और उसे ईश्वर की ओर ले जा सकता है. इसी कारण से इस दिन को गुरु उपासना हेतु श्रेष्ठ माना गया है. 

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गुरु के बिना ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति असंभव है. गुरु पूजा और गुरु से दीक्षा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और गुरु पूर्णिमा इसके लिए सर्वोत्तम है.कहा जाता है कि 'हरि रूठे, गुरु रूठे, गुरु रूठे, रूठे नहिं देव'.  गुरु की शरण में जाकर मनुष्य को ईश्वर को प्रसन्न करने का मार्ग मिल जाएगा. लेकिन अगर गुरु नाराज हो जाएं तो उनके प्रकोप से बचने का कोई रास्ता नहीं है. किसी भी स्थिति में गुरु की अवज्ञा से ठहराव नहीं आ सकता.

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