अगर किसी प्रकार का गुरु दोष जीवन में बन रहा है. कुंडली में बृहस्पति की स्थिति कमजोर बनी हुई है तो ऎसे में नौकरी, धन, संतान सुख और विवाह में परेशानियां आ जाती हैं. इन सभी समस्याओं से निजात के लिए गुरू पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले कार्य राहत दिलाते हैं.
कष्टों को दूर करने के लिए कुछ उपाय फायदेमंद साबित हो सकते हैं. हिंदू धर्म में गुरुओं का बहुत महत्व है. गुरु की महिमा, महत्व और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म इसी दिन हुआ था. इस कारण से बःई यह दिन बेहद श्रेष्ठ होता है. इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से कुंडली में गुरु दोष समाप्त हो जाता है. बृहस्पति के दोष के कारण नौकरी, धन, संतान सुख और विवाह में परेशानियां आती हैं. ऐसे में गुरु दोष से मुक्ति पाने के लिए यह दिन बेहद शुभ माना जाता है.
आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के उपाय.
करियर में तरक्की
नौकरी या बिजनेस में अच्छे लाभ के लिए इस दिन का विशेष मह्तव होता है. यह एक शुभ समय होता है और गुरु पूर्णिमा के दिन बृहस्पति देव को पीली वस्तुएं अर्पित करने से गुरु की शुभता भी जीवन में बनी रहती है.
इस दिन 'ॐ बृ बृहस्पतये नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना बहुत शुभ होता है. माना जाता है कि इससे कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है. बिजनेस में तरक्की की राह आसान है. गुरु दोष के कारण अटके हुए कार्य पूरे होते हैं. विस्तार का कारक बनकर गुरु सभी शुभता को बढ़ा देने का कार्य करता है.
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वैवाहिक जीवन का सुख
गुरु पूर्णिमा के दिन यदि गुरु का पूजन एवं व्रत का पालन किया जाए तो बृहस्पति की शांति होती है. गुरु को जीवनसाथी का कारक माना गया है. इस कारण से यदि विवाह में कोई परेशानी है तो इस दिन गुरु पूजन जरुर करें. ऎसा करने से विवाह में सुख शांति की प्राप्ति होगी. यदि कुंडली में गुरु कमजोर हो तो संतान प्राप्ति में दिक्कतें आती हैं. इसलिए इस दिन केले के वृक्ष का पूजन करें और गुरुओं का आदर पूजन करें ऎसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी.