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Home ›   Blogs Hindi ›   gopashtami vrat significance puja vidhi facts methods

जानिए क्या है गोपाष्टमी व्रत का महत्व व पूजा विधि एवं महत्वपूर्ण क्रियाएं

jyotishacharya raj rani Updated 12 Nov 2021 10:03 AM IST
gopashtami vrat
gopashtami vrat - फोटो : google
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गोपाष्टमी व्रत
गोपाष्टमी व्रत भगवान श्री कृष्ण को समर्पित पर्व है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण का पूजन होता है तथा गाय की पूजा की जाती है. यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है. इस शुभ अवसर पर देश के विभिन्न स्थानों पर कृष्ण जन्म एवं झांकियों का आयोजन भी होता है. मथुरा, वृंदावन ब्रज मंडल में इसे बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह व्रत 11 नवंबर को किया जाएगा.  हिंदू भक्त भगवान मधुसूदन की पूजा करते हैं और उनका दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए उपवास भी रखते हैं.
 
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गोपाष्टमी व्रत पूजन 
गोपाष्टमी के दिन, भक्त श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं. सुबह जल्दी उठते हैं और भगवान को फूल, चंदन और धूप अर्पित करते हैं कई तरह के पकवान प्रसाद रुप में चढ़ाए जाते  हैं. इस दिन पर विशेष पूजा आराधना होती है. मंदिरों को सजाया जाता है. वैष्णव संप्रदाय के लिए यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान समय होता है. व्रत का पालन करने वाला दिन भर खाने-पीने से परहेज करता है. यह व्रत स्त्री और पुरुष समान रूप से करते हैं. गोपाष्टमी व्रत आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मनाया जाता है. कुछ भक्त केवल दूध पीकर या फल खाकर व्रत का पालन करते हैं. इस दिन तामसिक भोज्य पदार्थ इत्यादि का सेवन वर्जित होता है.  व्रत के पालनकर्ता को भूमि शयन उत्तम होता है तथा आराम और विलासिता से दूर रह कर पूजा के नियमों का पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

गोपाष्टमी अष्टमी मंत्र जाप 
इस दिन भक्त विभिन्न मंत्रों का जाप करते हैं. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु पूजा चालीसा का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है. पूजा के अंत में भक्त व्रत कथा का पाठ भी करते हैं. पूजा की रस्में पूरी करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन और सामर्थ्य अनुरूप दक्षिणा प्रदान की जाती है. गोपाष्टमी के दिन संध्या समय मंदिरों में विशेष आरती का आयोजन होता है तथा भक्तों को भगवान का प्रसाद भी वितरित किया जाता है. 

गोपाष्टमी अष्टमी व्रत का महत्व:
गोपाष्टमी को भगवान के गोपाल स्वरूप के रुप में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति गोपाष्टमी का व्रत पूरे समर्पण के साथ करता है, उसके जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. संतान सुख सदैव प्राप्त होता है. गोपाष्टमी व्रत भगवान श्री कृष्ण को समर्पित पर्व है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण का पूजन होता है तथा गाय की पूजा की जाती है. यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है. इस शुभ अवसर पर देश के विभिन्न स्थानों पर कृष्ण जन्म एवं झांकियों का आयोजन भी होता है. मथुरा, वृंदावन ब्रज मंडल में इसे बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह व्रत 11 नवंबर को किया जाएगा.  हिंदू भक्त भगवान मधुसूदन की पूजा करते हैं और उनका दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए उपवास भी रखते हैं. 

गोपाष्टमी व्रत पूजन 
गोपाष्टमी के दिन, भक्त श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं. सुबह जल्दी उठते हैं और भगवान को फूल, चंदन और धूप अर्पित करते हैं कई तरह के पकवान प्रसाद रुप में चढ़ाए जाते  हैं. इस दिन पर विशेष पूजा आराधना होती है. मंदिरों को सजाया जाता है. वैष्णव संप्रदाय के लिए यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान समय होता है. व्रत का पालन करने वाला दिन भर खाने-पीने से परहेज करता है. यह व्रत स्त्री और पुरुष समान रूप से करते हैं. गोपाष्टमी व्रत आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मनाया जाता है. कुछ भक्त केवल दूध पीकर या फल खाकर व्रत का पालन करते हैं. इस दिन तामसिक भोज्य पदार्थ इत्यादि का सेवन वर्जित होता है.  व्रत के पालनकर्ता को भूमि शयन उत्तम होता है तथा आराम और विलासिता से दूर रह कर पूजा के नियमों का पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
 
गोपाष्टमी अष्टमी मंत्र जाप 
इस दिन भक्त विभिन्न मंत्रों का जाप करते हैं. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु पूजा चालीसा का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है. पूजा के अंत में भक्त व्रत कथा का पाठ भी करते हैं. पूजा की रस्में पूरी करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन और सामर्थ्य अनुरूप दक्षिणा प्रदान की जाती है. गोपाष्टमी के दिन संध्या समय मंदिरों में विशेष आरती का आयोजन होता है तथा भक्तों को भगवान का प्रसाद भी वितरित किया जाता है. 

गोपाष्टमी अष्टमी व्रत का महत्व:
गोपाष्टमी को भगवान के गोपाल स्वरूप के रुप में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति गोपाष्टमी का व्रत पूरे समर्पण के साथ करता है, उसके जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. संतान सुख सदैव प्राप्त होता है.

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