देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत ही भव्य है। देवी ने अपने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है तो वही दाएं हाथ में जप की माला धारण किए हुए हैं। कथन के अनुसार देवी ने अपने पूर्व जन्म में शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इन्होने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाकर तथा 100 वर्ष तक जमीन पर रहकर अपना जीवन व्यतीत किया था।
इन्होनें घोर तपस्या की जिसमें माँ ने कई वर्षो तक भूखे प्यासे कठिन से कठिन उपवास रखे। धूप, धूल, आंधी, तूफ़ान जैसे बहुत कष्ट झेले परन्तु अपने तप से टस से मस नहीं हुई । पत्तों का सेवन ना करने के कारण देवी को अपर्णा के नाम से भी जाना जाता है । माँ ने कई वर्षों तक निराहार व निर्जला उपवास किया था ।
तप के कारण देवी का शरीर क्षीण हो गया । कहा जाता है कि जो कोई भी मन से देवी की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं । देवी उसके सारे रोग हर के उसे निरोगी होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं । नवरात्र के दिनों में श्रद्धापूर्वक पूजा करने से देवी भक्तों के सभी दुःख हर लेती है। देवी हमारे अंदर इतनी ऊर्जा प्रदान करती हैं की कठिन परिस्थितियों में भी मन विचलित नहीं होता ।
नवरात्रि में विधिवत देवी की पूजा करने से घर में सुख शांति व समृद्धि का वास होता है। माँ के तप की शक्ति से पता चलता है की जीवन में चाहे कितनी भी मुसीबतें आ जाए परन्तु हमें कभी हार नहीं मानना चाहिए तथा सभी दिक्कतों से डट के मुक़ाबला करना चाहिए।
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