मृत्यु के बाद आत्मा कैसे शरीर के बाहर जाती है ? कौन लोग प्रेत का शरीर प्राप्त करते है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं?
भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्तर दिया(गरुड़ पुराण)।
मृत्यु के बाद आत्मा निम्न मार्गों से शरीर के बाहर आती है।
- आँख, नाक या त्वचा पर स्थिर रंध्रों से।
- ज्ञानियों की आत्मा मस्तिष्क के उपरी सिरे से बाहर आती है।
- पापियों की आत्मा उसके गुदा द्वार से बाहर जाता है( ऐसा पाया गया है कि कई लोग मृत्यु के समय मल त्याग करते हैं)। यह आत्मा को शरीर से बाहर निकलने के मार्ग हैं |
- शरीर को त्यागने के बाद सूक्ष्म शरीर घर के अंदर कई दिनों तक रहता है।
- अग्नि में 3 तीन दिनों तक
- घर में स्थित जल में 3 दिनों तक
जब मृत व्यक्ति का पुत्र 10 दिनों तक मृत व्यक्ति के लिए उचित वेदिक अनुष्ठान करता है तब मृत व्यक्ति की आत्मा को दसवे दिन एक अल्पकालिक शरीर दिया जाता है जो अंगूठे के आकार का होता है| इस अल्पकालिक शरीर के रूप में वह आत्मा दसवे दिन यम लोक के लिए प्रस्थान करती है | तीन दिनों बाद अर्थात तेरहवे दिन वह यमलोक पहुँचती है |
यमलोक में चित्रगुप्त भगवान जीव के सभी कर्मो का लेखा यमराज को प्रस्तुत करते हैं | उसके आधार पर यमराज जीव के लिए स्वर्ग लोक या नरक लोक तय करते हैं | जीव अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक लोक में रहता है और फिर उसके बाद वह पृथ्वी पर पुनः एक नए शरीर के रूप में जन्म लेता है|
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प्रेत योनि में कौन जन्म लेता है?
- कुछ मनुष्य जो कुछ विशेष प्रकार का कर्म करते हैं वह यमराज द्वारा वापस पृथ्वी पर प्रेत योनि में भेजे जाते हैं जिसमें वह एक निश्चित समय तक यहाँ रहते हैं |
- निम्न प्रकार के कर्म करने वाले लोग प्रेत योनि प्राप्त करते हैं
- विवाह के बाहर किसी से शारीरिक सम्बन्ध बनाने वाले व्यक्ति ।
- धोखाधड़ी या किसी की संपत्ति हड़पने वाले व्यकित ।
- आत्म हत्या करने वाले व्यकित।
- अकाल मृत्यु: जैसे किसी जानवर द्वारा या किसी दुर्घटना में मारा जाना आदि ,अकाल मृत्यु स्वयं मनुष्य के कुछ विशेष कर्मो के कारण प्राप्त होते हैं।
जब कोई जीव मनुष्य शरीर धारण करता है तो उसके कर्मों आदि के अनुसार उसका एक समय तक पृथ्वी पर रहना अपेक्षित होता है | यमराज जब मनुष्य के सभी कर्मों की समीक्षा करते हैं और जीव उस अपेक्षित समय से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो गया हो , तो उस जीव को बाकि समय प्रेत योनि में व्यतीत करना पड़ता है।
भगवान के भक्तों का क्या होता है?
भगवान के भक्तों को मृत्यु के बाद किसी प्रकार की यातना नहीं झेलनी पड़ती। भगवान के भक्त को यमराज के दूत नहीं बल्कि भगवान के अपने दूत लेने आते हैं। भगवान के दूत उस जीवात्मा की घर के बाहर प्रतीक्षा करते हैं और बहुत आदर के साथ भगवान के धाम लेकर जाते हैं। जहाँ वह जन्म और बंधनों से मुक्त अलौकिक जीवन जीता है|
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