सर्वार्थ सिद्धि योग में नवग्रह पूजन से बनेंगे आपके सभी रुके हुए काम, मुफ़्त में पूजन हेतु रजिस्टर करें
गरुण पुराण में मौजूद इन 5 आदतों को छोड़े और सफलता प्राप्त करें
1. गुस्सा नहीं करें
विद्यालयों में यह चीज बहुत जरूरी तौर पर सिखाई जाती है कि किसी भी व्यक्ति को क्रोध नहीं करना चाहिए। गुस्सा और क्रोध किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु होता है क्योंकि कोई भी व्यक्ति क्रोध में अपने सोचने समझने की क्षमता को खो देता है और बिना सोचे समझे फैसले लेता है। बिना सोचे समझे फैसले अक्सर बहुत गलत हो सकते हैं जिनका नतीजा आपको बहुत कुछ खोकर चुकाना होगा। इसलिए गरुड़ पुराण में यह बताया गया है कि आपको अपने क्रोध की आदत को छोड़ देना चाहिए क्योंकि यह आपकी सफलता के रास्ते में रुकावट के तौर पर काम करता है।
2. जलन या ईर्ष्या
इस दुनिया में हर किसी को सब कुछ बराबर नहीं मिलता है सबको सब की मेहनत के अनुसार ही सब कुछ मिलता है। ऐसे में ईर्ष्या किसी भी व्यक्ति में बहुत ही प्राकृतिक भाव होता है। लेकिन इस ईर्ष्या को किसी भी व्यक्ति को अपने ऊपर हावी होने नहीं देना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी चीजों पर मेहनत ना करके दूसरे को नीचे गिराने की कोशिश करता है या उसके बारे में सोचता है वह व्यक्ति अपना समय बर्बाद करता है और अपनी काबिलियत के साथ साथ सफलता को भी खो देता है।
3. आलस
सफलता पाने का सबसे मुख्य तरीका होता है जोश से काम करना। अगर कोई भी काम करते वक्त आपके अंदर होश और जोश दोनों ही नहीं है तो इसका मतलब है कि आपको वह सफलता नहीं मिलेगी। इसलिए अपने काम को करते वक्त आलस को बिल्कुल ही दूर कर दें। अगर आप टैलेंटेड हैं लेकिन आप में आलस भरा हुआ है और अपने काम को करते वक्त आप आलस को हरा नहीं पाते हैं तो आप सफलता कभी नहीं पा सकते हैं।
4. सूझ बुझ
अगर आप कोई भी काम शुरू करने जा रहें हैं तो उसके अच्छे और बुरे दोनों प्रभावों को ज़रूर परखें और उसके बाद ही कोई फैसला लें। किसी कार्य की शुरुआत से पहले उसका विश्लेषण करने का फायदा ये होता है कि आपको चीजों के बारे में अच्छा ज्ञान हो जाता है और उसे करने या ना करने का सही फैसला करने का मौका मिल जाता है। इसलिए जो भी काम शुरू करें उसे बहुत सूझबूझ के साथ ही करना चाहिए वरना आपको कई प्रकार के नुकसान झेलने पड़ सकते हैं।
5. चिंता
हमारे बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि चिंता बिल्कुल चिता के समान होती है। कोई भी काम शुरू करने से पहले चिंता को भूल कर उस कार्य में अपनी पूरी जान लगा दें लेकिन उसके फेल होने की चिंता कतई न करें। इसलिए नए कार्य को शुरू करने से पहले अपने पुराने चिंताओं को भूल जाना चाहिए और एक सद्बुद्धि के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
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