वैसे तो हर महीने की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी समर्पित होते हैं । लेकिन भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सबसे बड़ी गणेश चतुर्थी माना जाता है । माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था । इस दिन लोग गणपति जी को अपने घर लेकर आते हैं व अगले 10 दिनों तक के लिए उनकी सेवा करते हैं व विधि - विधान के साथ उनकी पूजा-अर्चना की जाती है । गणपति जी को घर में स्थापित करने से घर में स्थित सारे विघ्न दूर हो जाते हैं व अगले 10 दिनों में ही इनका चतुर्दशी के दिन धूम -धाम से विसर्जन कर दिया जाता हैं ।
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श्वेतार्क गणपति का महात्म्य ;
श्वेतार्क की जड़ देखने में लगभग - लगभग गणेश जी के आकार जैसी होती है । जिसके कारण इसे के नाम से जाना जाता है । मान्यता यह बताई जाती है कि यदि कोई व्यक्ति इस जड़ को यानी कि श्वेतार्क गणपति को अपने घर में स्थापित कर लेता हैं व इस प्रतिमा की प्रतिदिन विधि - विधान के साथ पूजा - अर्चना करता है तो यह प्रतिमा सिद्ध हो जाती है और इसमें गणेश जी का वास हो जाता है । जिसके बाद से ही व्यक्ति को इस गणपति की इस प्रतिमा की पूजा का फल शीघ्र ही मिलने लगता है ।
श्वेतार्क गणपति की पूजा विधि ;
श्वेतार्क की जड़ी यदि आपको मिल जाती है तो उसे शुद्ध जल या गंगाजल से साफ करें और फिर इसे लाल कपड़े पर स्थापित कर इसकी पूजा प्रतिदिन करें । गणपति जी की पूजा में लाल चंदन , अक्षत , पुष्प , सिंदूर आदि का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है तो आप इन चीजों को लेना ना भूले । इसके बाद धूप और दीप देकर नैवेद्य के साथ कोई सिक्का पूजा में चढ़ाए व पूजा संपन्न होने के बाद गणपति ‘ॐ गं गणपतये नमः’ के मंत्र को बोल एक माला का जाप अवश्य करें । श्वेतार्क गणपति की पूजा में मंत्र जाप के लिए लाल माला या फिर रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है ।
श्वेतार्क गणपति की पूजा के लाभ
श्वेतार्क गणपति की पूजा करने से सभी प्रकार के दैविक बाधाओं से रक्षा मिलती है । गणपति की मूर्ति की पूजा से भूत , प्रेत , नजर , दोष, जादू - टोना, तंत्र - मंत्र व इत्यादि जैसे भयो का नाश होता है । साधक इन सभी चीजों से हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाता है व साथ ही साथ। श्वेतार्क गणपति की ये प्रतिमा तत्काल सिद्धि के लिए अत्यंत ही लाभप्रद मानी जाती है ।
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