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गणेश चतुर्थी के अवसर पर जानिए भगवान गणपति के अनेक स्वरूपों के बारे में ये बातें

My Jyotish Expert Updated 11 Sep 2021 11:42 AM IST
ganesh chaturthi
ganesh chaturthi - फोटो : myjyotish
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गणेश चतुर्थी का पर्व आ गया है। भक्तों में एक अलग उत्साह है, यह पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व इस वर्ष 10 सितम्बर से 19 सितम्बर तक मनाया जाएगा। यह भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस पर्व को हिन्दू समाज के साथ मुस्लिम समाज द्वारा भी मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे महापर्व के रूप में मनाते हैं। गणपति जी से जो प्यार और भक्ति बड़े लोगों की है उतना ही प्यार उनसे बच्चे भी करते हैं। भगवान गणेश पर कई फिल्में और सीरियल भी बन चुके हैं। जिससे लोगों का उनके प्रति विशेष प्यार है। अब बात करते हैं कि ऐसी क्या बात है कि जब भी कोई शुभ काम करते हैं उसके पहले भगवान गणेश को याद किया जाता है, कहीं भी सर्वप्रथम पूजन भगवान गणेश का होता है। बच्चों की पढ़ाई की नोटबुक हो या दुकान के हिसाब की बुक सब जगह पहले पन्ने पर सुंदर अक्षरों में लिखा जाता है श्री गणेशाय नमः। हर देवता से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ऐसा क्यों होता है क्या उनके पास कुछ अलग सुपरपॉवर थी या उनकी भक्ति का कुछ अलग ही फल मिलता है। आइये जानते हैं इससे जुड़ी एक कथा के बारे में

किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व बात कीजिए ज्योतिषी से

भगवान शिव ने दिया था वरदान कि प्रथम आराध्य होंगे भगवान गणेश

शिवमहापुराण की कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने अपने मैल से एक बालक को उत्पन्न किया। उन्होंने उसे निर्देश दिए कि वो स्नान करने जा रही हैं किसी को भी प्रवेश मत करने देना। बालक गणेश उस आज्ञा का पालन कर रहे थे संयोगवश उसी समय भगवान शिव का आगमन हुआ तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया शिव जी ने कहा कि पार्वती जी उनकी पत्नी हैं। काफी कहासुनी के बाद भगवान शिव को क्रोध आगया उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया और भगवान शिव से कहा कि वो तब ही वहां से जाएंगी जब उनका पुत्र जीवित होगा। शिव जी के साथ सभी देवता उन्हें मनाने लगे पर वो नही मानी। शिव जी ने विष्णु जी से कहा कि ऐसे बालक का सिर का प्रबंध करें जिसकी मां उसकी तरफ पीठ कर के सो रही हो। शिव जी के ऐसा कहने पर खोज शुरू हुई और एक हथिनी का बच्चा मिला उसका सिर लाया गया। शिव जी ने वो सिर लगाकर गणेश जी को जीवित कर दिया। माता पार्वती ने कहा कि ऐसे रूप में कौन मेरे पुत्र की पूजा करेगा। तब भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया कि जब भी कभी पूजा होगी तो सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा होगी। आज भी जब भी कोई पूजा होती है सर्वप्रथम भगवान गणेश का स्मरण किया जाता है ऐसा न करने से पूजा सफल नही होती है।

क्या क्या सिखाते हैं हमें भगवान गणेश

गणेश जी से हमें ये सीखने को मिलता है कि आप रंगरूप में जैसे हैं लोग आपको वैसे ही प्रेम करें। हर किसी को एक विशेष उद्देश्य से बनाया गया है। आप सब स्वयं में विशेष हैं। खुद पर गर्व करें। सर्वप्रथम आराध्य अपने माता पिता को माने। उनसे बढ़कर कुछ नही है हमे अपने माता पिता पर गर्व करना चाहिए हमेशा अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए। हर काम को करते समय अपने भाग्य से ज्यादा अपनी बुद्धि एवं अपनी मेहनत पर भरोसा रखें। भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं। वो हमेशा सिखाते हैं खुद पर और अपनी बुद्धि पर विश्वास रखें वो आपको सफलता तक ले जाएगी।


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