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क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी
गणेशोत्सव इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। और गणेश जी के जन्म दिन के उत्सव को ही गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के रूप में हर साल मानया जाता है। बता दें कि गणेश चतुर्थी के अवसर पर, भगवान श्री गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में इनका पूजन किया जाता है। यह माना है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। जिसे ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है। हालांकि सभी भक्तजन हर साल गणेश चतुर्थी बड़े ही धूम धाम से मनाते हैं।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
माना जाता है कि गणेश जी का जन्म मध्याह्रकाल में हुआ था तो मुहूर्त भी इसी समय का होना चाहिए। इस बार की गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को प्रातः 12:17 बजे शुरू होगी और रात 10 बजे तक रहेगी। इसके अलावा 10 सितंबर को रात 9 बजकर 12 मिनट से सुबह 8:53 तक चंद्रमा को ना देखे । हालांकि शुभ मुहुर्त की शुरुआत मध्याह्र काल में 11:03 से 13:33 तक है। मतलब पूरे 2 घंटे 30 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है। यदि भक्तजन सही मुहूर्त के हिसाब से मूर्ति स्थापित करें तो बहुत अच्छा रहेगा। जिससे घर में सकारात्मकता बनी रहेगी और घर नकारात्मक प्रभाव पड़ने से बचेगा।
जोरों- शोरों से करें गणेश जी का स्वागत
गणेश चतुर्थी के आगमन पर सभी भक्तजन गणेश जी का स्वागत डोल और नगाड़ो के साथ करते हैं और खूब धूम धड़ाके के साथ बप्पा को अपने घरों में पूरे विधि विधान और मंत्रों उच्चारण के साथ स्थापित करते हैं और यह कामना करते हैं की गणेश जी उनके घर के सभी विघ्न हर लें। गणेश चतुर्थी के अवसर पर भक्तजनों में एक अलग ही ऊर्जा देखने को मिलती है। गणेश चतुर्थी का यह त्योहार पूरे देश में काफी प्रसिद्ध है। इसे आमतौर पर हिंदी धर्म के लोग मनाते हैं।
जानें गणपति विसर्जन की तिथि
गणेशोत्सव की तिथि 10 सितम्बर है और गणेश विसर्जन की तिथि 19 सितंबर को है। जिस प्रकार भक्त गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते उसी तरह गणेश जी की मूर्ति का दस दिन बाद विसर्जन भी किया जाता है और अगले साल फिर से आने का गणेश जी निवेदन किया जाता है। बप्पा की हार्दिक आशिर्वाद भक्तों के घरों पर बना रहता है।
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गणपति स्थापना और विसर्जन पूजा : 10 से 19 सितंबर
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