ललिता सप्तमी को ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र के पाठ से लक्ष्मी माँ की बरसेगी अपार कृपा, - 13 सितम्बर, 2021
गणेश चतुर्थी के अन्य नाम
गणेश चतुर्थी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी गणेश चतुर्थी नाम अधिक लोकप्रिय है, महाराष्ट्र में त्योहार को गणेशोत्सव, गणेशघर के रूप में भी जाना जाता है आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, विनायक चविथी और तमिलनाडु में विनायक चतुर्थी के नाम से लोकप्रिय है. नाम चाहे कोई भी हो नाम के बावजूद गणेश चतुर्थी का जोश और उत्साह पूरे देश में एक जैसा ही रहता है.
गणेश चतुर्थी का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेशजी को देवी पार्वती ने चंदन के लेप से बनाया था जिसका उपयोग उन्होंने अपने स्नान के लिए करना था शक्ति के देवता होने के कारण, उन्होंने इतनी शक्ति से गणेश को जगाया कि युद्ध में बड़े से बड़े देवता भी उनका सामना नहीं कर सकें. देवताओं के बीच युद्ध के दौरान, भगवान शिव ने गलती से गणेश का सिर काट दिया जिससे पार्वती का क्रोध भड़क उठा. देवी को शांत- संतुष्ट करने के लिए, भगवान शिव ने अन्य देवताओं के साथ गणेश की सूंड पर एक हाथी के बच्चे का सिर रख दिया, इसलिए हाथी के सिर वाले भगवान गणेश की रचना हुई. गणेश चतुर्थी के इस शुभ दिन पर, भगवान शिव ने घोषणा की कि गणेश ही एकमात्र ऐसे देवता होंगे जिनकी पूजा किसी अन्य भगवान से पहले की जाएगी और तभी उस पूजा का पूर्ण फल मिल सकेगा. गणेश जी को ज्ञान और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता रहा है.
गणेश चतुर्थी के अनुष्ठान
गणेशोत्सव महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्योहार है. इस त्योहार के लिए मिट्टी और रंग से भगवान गणेश की विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाई जाती हैं.
पूजा की शुरुआत मंत्रों के जाप से होती है और भगवान को चंदन के लेप और कुमकुम से स्नान कराया जाता है. प्राणप्रतिष्ठा संपन्न होने पर अन्य कार्य आरंभ किए जाते हैं. भगवान को अलग-अलग तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं, जिसमें पारंपरिक 'मोदक' शामिल है जो नारियल और गुड़ से बनी मिठाई होती है. भोग के अतिरिक्त पूजा के लिए अन्य चीजें जैसे नारियल, गुड़, दूर्वा (एक विशेष प्रकार की घास) और लाल फूलों का भी उपयोग किया जाता है. परंपरागत रूप से, पूजा के लिए 21 मोदक और 21 दूर्वा आवश्यक होती हैं.
काशी दुर्ग विनायक मंदिर में पाँच ब्राह्मणों द्वारा विनायक चतुर्थी पर कराएँ 108 अथर्वशीर्ष पाठ और दूर्बा सहस्त्रार्चन, बरसेगी गणपति की कृपा ही कृपा -10 सितम्बर, 2021
गणपति स्थापना और विसर्जन पूजा : 10 से 19 सितंबर
माँ ललिता धन, ऐश्वर्य व् भोग की देवी हैं - करायें ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र, फ्री, अभी रजिस्टर करें