इहम भारतीयों के महत्वपूर्ण पदों में से एक गणेश चतुर्थी महोत्सव का आगमन हो चुका है इस वर्ष यह महोत्सव 10 सितंबर को मनाया जा रहा है यह महोत्सव 10 सितंबर से 19 सितंबर तक अनंत चौदस तक चलेगा। इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारत के प्रत्येक परिवार विघ्नहर्ता श्री गणेश जी को अपने घर में स्थापित करते हैं उनका घर में स्वागत ढोल नगाड़ा और खूब सारे पकवानों के साथ किया जाता है खूब साज सज्जा के साथ भव्य भव्य पंडाल लगाए जाते हैं और उसमें गणपति जी को स्थापित किया जाता है उनके लिए तरह-तरह के पकवान मोदक और मोदको के भी कई कई प्रकार बनाए जाते हैं वे उन्हें उन का भोग लगाया जाता है। गणपति जी को लोग अपने श्रद्धा के अनुसार 5,7 9 दिन के लिए अपने घर में स्थापित करते हैं उनकी खूब सेवा करते हैं अपनी मनोकामनाएं उनसे पूरी कर बात करने की इच्छा मांगते हैं उनसे अपने सुख समृद्धि मांगते हैं वह उनके जीवन के सारे विघ्न हरण हरने की दुआएं भी मांगते हैं। जिस समय गजानन को घर पर लाया जाता है, तब विशेष पूजा का आयोजन होता है इस दौरान गणपति का स्वागत हल्दी और कुमकुम के साथ मिले अक्षत के साथ किया जाता है। परंतु अक्षत का इस्तेमाल क्यों किया जाता है वह दोपहर का समय क्यों माना जाता है शुभ यहां जानिए।
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अक्षत का इस्तेमाल माना जाता है शुभ
हर पूजा में अक्षत का इस्तेमाल जरूर होता है लाल या पीले रंग से रंगे चावल पूजा में अक्षर के नाम से जाने जाते हैं माना जाता है कि यदि अक्षर जिस पूजा में प्रयोग नहीं होता है उसे उस पूजा के लिए बहुत बड़ी भूल माना जाता है परंतु अगर पूजा में आप भूल से भी किसी चीज को भूल जाते हैं और अक्षत का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी उन भूलों को माफ मानी जाती है। गणेश चतुर्थी जिसे बहुत शुभ माना जाता है ऐसे में गणपति के समक्ष अक्षत को खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है गणपति जी के आगमन के दौरान अक्षत का प्रयोग किया जाता है और माना जाता है कि अगर अक्षत का प्रयोग उनके आगमन के समय किया जाए उन्हें अर्पित किया जाए तो इससे घर में खुशहाली और समृद्धि आती है तथा वह शुभ होता है। एक मान्यता यह भी है कि अगर अक्षत चढ़ाया जाए तो इससे गणपति के साथ-साथ सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सकारात्मकता आती है व खुशहाली बनी रहती है। अगर आप भी इस बार गणपति जी को अपने घर में स्थापित कर रहे हैं तो अक्षत के चढ़ावे के समय रखें इस बात का ध्यान
◆ याद रहे कि जब आप पूजा में अक्षत का प्रयोग करें तो चावल के दाने प्रयोग करें वह पूर्ण हो यानी कि चावल टूटे हुए नहीं होने चाहिए। साथ ही जब हल्दी और कुमकुम को चावलों में मिलाएं तो ध्यान पूर्वक मिलाएं मिलाते समय चावल टूटने नहीं चाहिए टूटे हुए चावलों को अशुभ माना जाता है चावल के कुछ दानों को रोज भगवान को अर्पित करने से ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
पूजन के समय अक्षत इस मंत्र के साथ भगवान को समर्पित करना चाहिए :
।।अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:. मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥
दोपहर का समय माना जाता है सबसे श्रेष्ठ
आमतौर पर दोपहर के समय किसी भी आराध्य भगवान की पूजा अर्चना नहीं की जाती है परंतु गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर दोपहर में ही पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी के दिन को गणपति के महोत्सव के रूप में मनाया जाता है मान्यता है कि गणपति का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर के समय हुआ था इसीलिए गणेश चतुर्थी की पूजा अर्चना दोपहर के समय ही होती है वह दोपहर का समय ही गणेश पूजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। चतुर्थी के दिन गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:17 बजे से रात 10:00 बजे तक रहेगा लेकिन बेहतर है कि आप दोपहर के समय ही गणपति की स्थापना करें और उन्हें दुर्गा पान सुपारी सिंदूर अक्षर आदि अर्पित करें साथ ही उनके पसंदीदा भोग उन्हें अर्पित करें इसके बाद उनकी स्तुति वगैरह करें
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