सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। फिर माता संतोषी की प्रतिमा को पवित्र स्थान पर स्थापित करें। माता की प्रतिमा के पास एक कलश में जल भर कर रखें। कलश के ऊपर एक कटोरी में गुड़ व चना रखें व इसके अलावा नारियल भी रख सकते हैं । घी का दीपक माँ के आगे जलाएँ।माता को लाल चुनरी चढ़ाएं और चने व गुड़ का भोग लगाएं । यह करने के बाद कथा पढ़ना आरम्भ करें और कथा पढ़ते समय हाथ मे गुड़ व चना ज़रूर रखें। कथा समाप्त होने के बाद वह गुड़ व चना गाय को खिला दें। और कलश पर रखे गुड़ व चने को प्रसाद के रूप में बांटे। कलश का पानी तुलसी माता को अर्पित कर दें।
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माता संतोषी की कृपा व्यक्ति के जीवन में शिक्षा , धन - धान्य एवं सम्मान प्रतिष्ठिता लेकर आती है। उनके आशीर्वाद से घर में सुख - समृद्धि का वास होता है। वह समस्त परेशानियों से अपने भक्तों की रक्षा करती है एवं उन्हें सुखद जीवन प्रदान करती है।
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