आखिर क्यों मनाया जाता है होली का त्यौहार?
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था जिसने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और वरदान स्वरूप ये मांग की थी कि मुझे कोई भी स्त्री और पुरुष के द्वारा नहीं मारा जाएगा
- भगवान विष्णु उसकी सभी मांगो को पूरा कर देते हैं ।
- वरदान पाकर हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान समझने लगता है और जनता से अपनी पूजा करने को कहता है।
- उसका पुत्र प्रहलाद होता है जो दिन रात भगवान विष्णु की पूजा उपासना करता है हिरण्यकश्यप उसे पसन्द नहीं करता और उसे समझाता है लेकिन वो उनकी बात नहीं मानता है तब हिरण्यकश्यप उसे मारने का आदेश देता है।
- तब हिरण्यकश्यप की बहन " होलिका " ये तरकीब सूझाती है कि मुझें तो भगवान ब्रह्मा का वरदान प्राप्त है कि मैं अग्नि में नहीं जलूगी मैं प्रहलाद को पूर्णिमा के दिन अग्नि में लेकर बैठ जाऊंगी ।
- योजना अनुसार ये कार्य होता है होलिका अपने भतीजे को लेकर बैठती है विष्णु भगवान की कृपा से
- प्रहलाद बच जाता है और होलिका का " वरदान श्राप में तब्दील हो जाता है।"
- हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु " नरसिंह" का रुप लेते हैं और उसका अंत करते हैं।" बुराई पर अच्छा ई की जीत होती है ".
- तब से हम "होलिकोत्सव उत्सव" मनाते है।
भाईदूज
भाई दूज भाई और बहनों का त्यौहार है
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य के संज्ञा से दो संतान की प्राप्ति हुई यमुना और यम की.
यम हमेशा अपने काम में बहुत व्यस्त रहते थे जिस कारण वो यमुना से मिल नहीं पाते थे एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी दूर करने के लिए जाते हैं यमुना उनका बहुत आदार सत्कार करती है और यम उनको बहुत सारी भेंट देते हैं अंत में यम अपनी बहन से कोई वरदान मांगने को कहते हैं तब वो कहती है अगर आप मुझे वरदान देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करें
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