आधुनिक भारत में यदि कोई जातक स्कूल में प्रवेश लेता है तो एक निश्चित सीमा तक ही उसके पास यह ऑप्शन रहता है कि वह अपनी इच्छानुसार विषयों का चयन कर सके अन्यथा स्कूल द्वारा प्रदत्त विषय ही उसे चुनने होते है । अतः कभी कभी हम यह देखते है कि चतुर्थ भाव, उसका स्वामी यदि प्रबल भी हो तो मनवांछित फल नहीं आते है अर्थात अभिवाहक की अभिलाषा पर खरे नहीं उतरते है ।
यदि जातक को उसके रुझान के अनुसार विषयों का चयन करने का मौका दिया जाए तो निश्चित ही जीवन में उच्चतम शिखर पर पाहुचेगा । विभिन्न ग्रहों का शिक्षा संबंधी कारकत्व निम्नवत है :-
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सूर्य : चिकित्सा , रसायन विज्ञान , ज्योतिष, ज्योग्राफी
चन्द्र: जन्तु एवं वनस्पति विज्ञान, केमिकल , मनोविज्ञान, नाविक शिक्षा, होटल मैनेजमेंट, संगीत
मंगल : मेकनिकल एवं सिविल इंजीन्यरिंग , सर्जरी, भौतिक विज्ञान, डेंटल या अन्य टेक्निकल शिक्षा
बुध : गणित, ज्योतिष, पत्रकारिता , विपणन ,
बृहस्पति : विधि, चिकित्सा, मिलिटरी साइन्स, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र , शिक्षक प्रशिक्षण, एम०बी०ए०
शुक्र : केमिस्ट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्युटर, एग्रिकल्चर, वेटिनरी, संगीत, ललित काला, नेफ्रोलोजी, नेत्र चिकित्सा, फ़ैशन डिज़ाइनिंग
शनि : सर्वेक्षण,भुगर्व शास्त्र, अभियांत्रिकी, औथोयोगिकी , यान्त्रिकी, भवन निर्माण, प्रिंटिंग टैक्नीक
राहू एवं केतू : रेडियोलाजी, फोटोग्राफी, अन्तरिक्ष विज्ञान, तर्क शास्त्र, हिपनोटिस्म, गुप्त विद्या, तंत्र मंत्र
ठीक इसी प्रकार से हम विभिन्न भावो का विश्लेषण कर जातक हेतु चयनित विषय निकाल सकते है।
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वैज्ञानिक एवं औद्योगिक प्रगति के कारण व्यवसायों एवं शैक्षणिक विषयों में उत्तरोतर वृद्धि होती जा रही है अतः ज्योतिष सिद्धांतो के आधार पर विषयों का चयन किया जा सकता है । जैसे ललित कला में सफलता के लिए शुक्र का लग्न या चन्द्र के साथ होना आवश्यक है । शनि विषय की गहराही तक ले जाने वाला ग्रह है जबकि बुध गणना का, चंद्रमा कल्पना का ग्रह है । मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला और कुम्भ लग्न वाले जातक कॉमर्स के क्षेत्र में जबकि वृश्चिक , मेष, मकर, कुम्भ, विज्ञान के क्षेत्र में सफल हो सकते है । इसी प्रकार ग्रहो के शिक्षा संबंधी कारकत्व एवं योगो के आधार पर विषयों का चयन हम जातक के जीवन को सफल बना सकते है ।
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