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Home ›   Blogs Hindi ›   Dwarkadhish Temple: A different color of faith and belief, know why two flags hoisted on the peak of Dwarkadhi

Dwarkadhish Temple : आस्था और विश्वास का एक अलग रंग जाने क्यों द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर फहराए गए दो ध्वज

Acharya RajRani Updated 14 Jun 2023 12:58 PM IST
Dwarkadhish Temple : आस्था और विश्वास का एक अलग रंग जाने क्यों द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर फहराए गए
Dwarkadhish Temple : आस्था और विश्वास का एक अलग रंग जाने क्यों द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर फहराए गए - फोटो : google
इस समय देश में आने वाले एक भीष्ण चक्रवात के चलते गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर दो ध्वज फहराए दिए गए हैं.  बिपरजॉय नामक इस चक्रवात से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव के लिए तथा शिखर पर इस चक्रवात के समय ध्वज लगा पाना संभव नही होगा इस कारण से दो ध्वज द्वारकाधीश मंदिर पर लगाए जाने का फैसला हुआ है.

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द्वारकाधीश मंदिर एवं उसके शिखर पर मौजूद ध्वज को लेकर भक्तों की बडी़ गहरी आस्था रही है. स्थानीय लोगों की विशेष मान्यता है की इस ध्वज के होने से उन पर किसी प्रकार का संकट नहीं आ सकता है. द्वारकाधीश मंदिर पर यह ध्वज फहराए गए हैं क्योंकि चक्रवात के कारण तेज हवाएं चल रही हैं इसलिए शिखर पर पहुंचना खतरे से खाली नहीं है जिसके चलते दूसरे झंडे को खंभे के नीचे लगाया गया है. 

बिपारजॉय चक्रवात के चलते लिया गया फैसला
इस समय गुजरात में चक्रवात बिपारजॉय का खतरा बहुत अधिक दिखाई दे रहा है, तूफान का ज्यादा असर देखने को मिल सकता है. इसी बीच द्वारका मंदिर में दो झंडे फहराने का मामला सामने आया है. कुछ भक्तों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि चक्रवात के कारण हुई आपदा को दूर करने के लिए मंदिर के शीर्ष पर दो झंडे फहराए गए हैं तो कुछ अनुसार दावा किया गया है कि इतिहास में पहली बार ऐसी घटना हुई है, एक साथ दो ध्वज की तो वहीं ध्वज न बदल पाने की स्थिति से बचने के लिए ऎसा किया जा रहा है. 

द्वारकाधीश मंदिर महत्व 
महाभारत काव्य में बताया गया है कि द्वारका भगवान श्री कृष्ण की राजधानी थी. द्वारकाधीश मंदिर  गुजरात में स्थित है. द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पौत्र ने करवाया था. इतिहासकारों का मानना है कि द्वारकाधीश मंदिर का समुद्र से गहरा संबंध है. अनुमान है कि यह मंदिर 2500 साल पुराना है. यह द्वारका मंदिर आज समुद्र में समाया हुआ है और इसी द्वारका नगरी में द्वारकाधीश मंदिर स्थित है. मंदिर में दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं.

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मुख्य प्रवेश द्वार को मोक्ष द्वार और दूसरे को स्वर्ग द्वार कहा जाता है. यह मंदिर काफी विशाल है और मंदिर का स्तंभ भी बहुत ऊंचा है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि यहां दिन में 5 बार मंदिर की ध्वजा बदली जाती है. जिसका एक निश्चित समय होता है. इतना ही नहीं इसकी खास बात यह है कि इस झंडे को भक्तों द्वारा ही अर्पित किया जाता है. यानी भक्त पहले से ही बुकिंग करवा लेते हैं ओर अपने ध्वज को समय आने पर लगवा देते हैं. 
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