यहां पितरों की तस्वीर लगाने से बढ़ जाती है कलह
वास्तु के अनुसार, पितरों की तस्वीरों को भूलकर भी उस जगह न लगाएं जहां आप सोते हों, यानी बेडरूम में इनकी तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। साथ ही किचन में भी इनकी तस्वीर न लगाएं। जिन घरों इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है उन घरों में पारिवारिक कलह बढ़ जाती है और सुख-समृद्धि में कमी आती है।
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नहीं मिलता किसी तरह का शुभ फल
घर के मंदिर में कभी भी पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। शास्त्रों में ऐसा करना वर्जित बताया गया है। पितरों की तस्वीरों को देवी-देवताओं के साथ रखने से देवदोष लगता है। पितर और देवताओं का स्थान अलग निर्धारित है। पितर देवताओं के समान आदरणीय और समर्थवान होते हैं। दोनों को साथ में रखने से किसी के आशीर्वाद का शुभ फल नहीं मिल पाता है।
घर की समृद्धि के लिए नहीं है सही
घर में जहां से सभी स्थान से तस्वीर पर नजर जाती हो उस स्थान पर पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। जबकि अक्सर भावुकता में लोग ऐसा ही करते हैं। इससे बार-बार पितरों की तस्वीर पर नजर जाती है और मन में निराशा का भाव उत्पन्न होता है। दक्षिण और पश्चिम की दीवारों पर भी पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। इससे सुख-समृद्धि की हानि होती है।
यहां तस्वीर लगाने से हो जाती है आयु कम
घर के पितरों की तस्वीर को कभी भी जीवित लोगों की तस्वीर के साथ नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है, जिस जीवित व्यक्ति के साथ पितरों की तस्वीर लगी होती है, उन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी आयु में कमी आती है, साथ ही जीवन जीने का उत्साह कम होता है।
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ऐसे तो ना रखें पितरों की तस्वीर
पितरों की तस्वीर कभी भी लटका कर नहीं रखना चाहिए। इनकी तस्वीर को रखने के लिए स्टैंड बनवा लेना चाहिए। घर में किसी भी पूर्वज की एक से अधिक तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। इन्हें ऐसे स्थान पर भी ना रखें जिससे आते-जाते इन पर नजर जाए। इससे नकारात्मकता आती है।
इस जगह लगा सकते हैं पितरों को तस्वीर
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों की तस्वीरों को हमेशा घर के उत्तरी हिस्से के कमरों में लगाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो जिस भी स्थान पर लगाएं वहां उत्तरी दिवार से इनकी तस्वीर से लगाएं ताकि इनकी दृष्टि दक्षिण की ओर रहे। दक्षिण की दिशा को यम और पितरों की दिशा कहा गया है। इससे अकाल मृत्यु और संकट से बचाव होता है।
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