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चंद्र ग्रहण में भूलकर भी न करे ये काम

पंडित भरतलाल शास्त्रीपंडित भरतलाल शास्त्री Updated 04 Jun 2020 04:42 PM IST
Do not do this work even after forgetting during lunar eclipse
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शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। अन्यथा दुर्भाग्य बढ़ सकता है और निकट भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यहां जानिए पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण के योग में कौन-कौन से काम नहीं करना चाहिए :-



 1. तेल मालिश न करें

ग्रहण के समय तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। जो लोग ग्रहण के समय तेल मालिश करते हैं, उन्हें त्वचा संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

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2. ग्रहण काल में सोना नहीं चाहिए


जो लोग ग्रहण के समय सोते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अत: पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति को ग्रहण काल में सोना नहीं चाहिए। गर्भवती स्त्री, रोगी और वृद्धजन इस समय में सो सकते हैं, विश्राम कर सकते हैं।

3. पति-पत्नी को रखना चाहिए संयम

ग्रहण काल में पति-पत्नी को संयम रखना चाहिए यानी दूरी बनाए रखनी चाहिए। यदि ग्रहण के समय पति-पत्नी द्वारा संबंध बनाए जाते हैं तो यह अशुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय बनाए गए संबंध से उत्पन्न होने वाली संतान का स्वभाव अच्छा नहीं रहता है यानी उस संतान में कई बुराइयां हो सकती हैं। अत: पति-पत्नी को ग्रहण काल में सावधानी रखनी चाहिए।

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4. ग्रहण के बाद पका हुआ भोजन खाने योग्य नहीं रहता

शास्त्रों की मान्यता है कि ग्रहण से पूर्व पकाया हुआ भोजन, ग्रहण के बाद खाने योग्य नहीं रह जाता है। अत: चंद्र ग्रहण के समय घर में रखे हुए पके भोजन में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए। इसके लिए शाम से पहले से तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेना चाहिए। तुलसी के पत्तों से भोजन पर ग्रहण का बुरा असर नहीं होता है। तुलसी में मौजुद तत्व भोजन को खराब होने से बचा लेते हैं। साथ ही, भोजन की पवित्रता भी बनी रहती है।

5. ग्रहण काल में पूजन न करें

चंद्र ग्रहण के समय किसी भी प्रकार का पूजन नहीं करना चाहिए। इसी वजह से ग्रहण काल में सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान सिर्फ मंत्रों का मानसिक जप किया जा सकता है। मानसिक जप यानी बिना आवाज किए धीरे-धीरे मंत्रों का जप करना। मंत्र कोई भी हो सकते हैं, जैसे- ऊँ नम: शिवाय, श्रीराम, सीताराम, ऊँ रामदूताय नम: आदि। आप चाहें तो अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप कर सकते हैं।

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विशेष

जिस दिन ग्रहण रहता है, उस दिन ग्रहण के समय से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल में भी पूजा पाठ वर्जित होता है। इसीलिए पूजा-पाठ से संबंधित कोई भी उपाय सूतक से पहले करना चाहिए।

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