Diwali
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धनतेरस, जिसे धन्वंतरि त्रयोदशी के रूप में भी जाना जाता है, पहला दिन है जो भारत में दिवाली के त्योहार की शुरुवात का संकेत देता है। धन्वंतरि त्रयोदशी को दिवाली पूजा से दो दिन पहले मनाया जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का अलग ही महत्व होता है और यह बहुत ही लाभदायक होती है | इस दिन को शिक्षक और आयुर्वेद के भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान उभरे, एक हाथ में अमृत का कलश पूर्ण और दूसरे हाथ में आयुर्वेद के बारे में पवित्र पाठ था। भगवान धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य माना जाता है । धनत्रयोदशी का दिन धन और समृद्धि से संबंधित है और लक्ष्मी-कुबेर पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
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धन प्राप्ति और स्वास्थ्य सुख पाने के लिए धनतेरस का पर्व बेहद शुभ माना जाता है | जीवन में सफलता प्राप्ति हेतु भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बहुत ही अच्छा माना जाता है | भारतीय परंपरा के अनुसार इसी दिन से दीपावली के पावन पर्व और मां लक्षमी की पूजा, उपासना की साधना आरम्भ होती है | कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है | हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। धनतेरस के दिन एक तरफ जहां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है वहीं आरोग्य के देवता धन्वंतरि भी पूजे जाते हैं। स्वास्थ्य ही सब कुछ है सेहत के बिना धन व्यर्थ को चरित्रार्थ करने के लिए धनतेरस के दिन परम वैद्य धन्वंतरि की जयंती मनाकर उनकी पूजा-अर्चना होती है।
धनत्रयोदशी के दिन किसी को भी कोई भी वस्तु या पैसा उधार नहीं देने चाहिए | धनत्रयोदशी के दिन किसी की आलोचना, झगड़े, वाद-विवाद की बात नहीं करनी चाहिए और सुख शांति से रहना चाहिए | धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से परिवार में खुशाली आती है और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है |
अकाल मृत्यु व गंभीर रोगों से बचने के लिये धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी की पूजा - 13 नवंबर 2020 | Dhanvantari Puja Online
धन्वंतरि देव का पौराणिक मंत्र
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
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