विक्रम संवत के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष अंतिम तिथि को अमावस्या होती है। एक साल में बारह अमावस्या होती है जिनमें सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है तो वही मौनी अमावस्या भी हिन्दू मान्यताओं में विशेष महत्व रखती है ।
आज हम जानेगें क्या है वैशाख अमावस्या, वैशाख अमावस्या एक ऐसी अमावस्या होती है जिसमें लोग सर्प दोष से बचने के लिए ज्योतिष के द्वारा सुझाए गए उपाय को करते हैं । साथ ही अपने पितरों की शांति के लिए नदी में स्नान करते हैं और दान पुण्य भी करते हैं ।
बाकी अमावस्या से किस तरह से अलग है ये अमावस्या, मुख्य रूप से इस महीने में भगवान विष्णु, परशुराम और देवी की उपासना की जाती है. साथ ही केवल साल में एक बार श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी इसी महीने में होते हैं । इस महीने में गंगा या सरोवर स्नान का विशेष महत्व है और अपने पितरों से आशीर्वाद पाने के लिए यह वैशाख माह भी शुभ होता है ।
शनि त्रियोदशी पर कोकिलावन शनि धाम में चढ़ाएं 11 किलों तेल और पाएं अष्टम शनि ,शनि की ढैय्या एवं साढ़े - साती के प्रकोप से छुटकारा : 08 मई 2021 | Sade Sati Nivaran Puja
कब है वैशाख अमावस्या ? इस बार 11 मई, दिन मंगलवार को अमावस्या है ।
इस दिन क्या न करें ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या का दिन महत्वपूर्ण होता है। इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध किए जाते हैं। इस दिन मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। अमावस्या के दिन सात्विक आहार लें। अमावस्या का दिन पितरों की तृप्ति का दिन होता है। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।
ये भी पढ़े :
हनुमान के वो गुण जिससे कर सकते हैं आप अपने व्यक्तित्व का विकास
क्या कोरोना वायरस का कहर कम होने वाला है? जानें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार
कौन थी माता पार्वती और भगवान शिव की तीन बेटियां, जानिए इसकी कथा