धर्म से धार्मिकता की ओर बढ़े
धर्म क्या है और धार्मिकता क्या है? धर्म के 2 आयाम है एक कटृरता और दूसरा धार्मिकता कटृरता जहां धर्म रुक जाता है। धार्मिकता- जहां धर्म प्रवाहित रहता है ।कटृरता कर्मकांड में ले जाती है। धार्मिकता जीवंतता में ली जाती है ।धर्म या तो आगे बढ़ेगा या पीछे जाएगा। अगर धर्म जीवंत नहीं है तो कटृरता उसकी नियति है।
धर्म क्या है? धर्म है एक सत्य और सत्य हर व्यक्ति का अलग -अलग होता है। धार्मिकता क्या है? परम सत्य है। परम सत्य अलग- अलग नहीं होता। जो तुम्हारा सत्य है किसी और का सत्य नहीं है। सत्य क्या है? जिससे तुम विकसित होते हो, वही तुम्हारा सकते हैं ।और परम सत्य क्या है परम सत्य वही है ,जिससे यह अस्तित्व निर्देशित है ,जिससे अस्तित्व संचालित है। परम सत्य अलग-अलग नहीं होता ।लेकिन सत्य अलग अलग होता है।
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जैसे कोई व्यक्ति पहुंचता है गौतम बुद्ध के पास। कहता है, परमात्मा है? गौतम बुध कहते हैं ,अगर है तो क्या करोगे? तो कहता है करूंगा क्या फिर कुछ करने की जरूरत ही क्या है? सब करना धरना छोड़ कर के बैठ जाऊंगा और जो करना है परमात्मा को करना है ।गौतम बुध कहते हैं नहीं मित्र परमात्मा नाम की कोई चीज नहीं है ।वह व्यक्ति चला जाता है ।दोपहर को एक दूसरा व्यक्ति आता है पूक्षता है आप क्या कहते हो परमात्मा है या नहीं? गौतम बुध कहते हैं यदि मैं कहूं कि नहीं है तो क्या करोगे? उसने कहा तब तो मजा है चोरी करूंगा, डकैती करूंगा,कोई देखने वाला नहीं। गौतम बुद्ध ने कहा नहीं वह है और सब कुछ दिखता है, सब का हिसाब रखता है।
वह व्यक्ति चला जाता है ।फिर तीसरा व्यक्ति शाम को आता है कहता है आप क्या कहते हो परमात्मा है या नहीं? गौतम बुध ने कहा यदि मैं कहूं कि है तो क्या करोगे? मैं कहूं कि नहीं तो क्या करोगे ?उस व्यक्ति ने कहा मुझे क्या करना आप कहोगे तो मैं मान लूंगा और आप नहीं कहोगे तो मैं मान लूंगा कि वह नहीं है। मुझे क्या करना है गौतम बुध ने कहा 'नहीं, वह है भी और नहीं भी है। तुम खोजों। वह चला जाता है।
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आनंद तो परेशान है रात को। सोना चाहता है पर सो नहीं पाता है। गौतम बुद्ध ने कहा 'आनंद' आज तुम कुछ परेशान लगते हो। आनंद ने कहा तीन व्यक्ति आय तीनों को आपने अलग-अलग उत्तर दिया गौतमबुद्ध ने कहा ,तुम क्यों परेशान हो? जिनको उत्तर दिया गया उत्तर तो उनके लिए थे।आनंद ने कहा, लेकिन मैं सुन तो रहा था। तीनों उत्तर अलग-अलग थें।गौतम बुद्ध ने बड़ी प्यारी बात कही। कहा ,संत हमेशा सत्य कहता है। और सत्य वही है सामने वाले को विकसित करें ।पहले व्यक्ति को मैंने वही कहा, जो उसको विकसित कर सकता था। दूसरे को भी वही कहा, जो उसे विकसित कर सकता था। और तीसरे को भी वही कहा, जो उसे विकसित कर सकता था ।तो सत्य अलग -अलग व्यक्ति के लिए अलग- अलग होता है।
धर्म अलग- अलग व्यक्ति के लिए अलग अलग हो सकता है ।लेकिन परम धर्म एक ही होता है और परम धर्म का नाम है धार्मिकता।
धर्म जीवन की एक शैली है, धार्मिकता जीवन का प्रवाह है। धर्म और धार्मिकता में बहुत अंतर है।
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