अतो हं विश्वरूपां तां नमामि परमेश्वरीम।।
दयामयी,करुणामयी ,ममतामयी मातृस्वरूपा जगज्जननी भगवती
का विग्रह भारतवर्ष में द्वादशा स्थानों में द्वादशा स्वरूपों में स्थित है। इनके दर्शन अथवा प्रातः स्मरण मात्र से प्राणी "माँ" के चरण कमलों का शरण प्राप्त कर अक्षय मोक्ष को प्राप्त करते है।
त्रिपुरा रहस्य ग्रंथ माहात्मय खण्ड अध्याय 48 श्लोक उक्त विवरण का उल्लेख है -
काञ्वीपुरे तू कामाक्षी मलये भ्रमरी तथा।
केरले तू कुमारी सा अम्बा नर्तेषु संस्थिता।।
करवीरे महालक्ष्मी कालिका मालवेषु सा।
प्रयागे ललिता देवी विन्ध्ये विंध्यवासिनी।।
वाराणस्यां विशालाक्षी गयायाम्मंगलवती।
क्रमांक देवी स्थान
2. भ्रामरी मलय गिरि
3. कुमारी मालावार,केरल
4. अम्बा जी माउन्ट आबू,सौराष्ट्र,गुजरात
5. कालिका मालवा (उज्जैन )
6. महालक्ष्मी करवीर,कोल्हपुर
7. ललिता अलोपी बाग,प्रयागराज
8. विंध्यवासिनी विंध्यांचल (मिर्जापुर )
9. विशालाक्षी वाराणसी (काशी )
10. मंगलावती गया
11. सुंदरी बंगाल
12. गुह्यकेश्वरी काठमांडू,नेपाल
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