ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितरों की पूजा करनी चाहिए। इससे पुण्य मिलता है और पितृ दोष मिटते हैं। इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है और कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों में सूर्य के बाद चंद्रमा को सबसे अधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण बताया गया है। कहा जाता है इस दिन सच्चे मन से आराधना करने पर व्यक्ति की सभी मनोकानाएं पूर्ण होती हैं।
दर्श अमावस्या की तिथि:
इस बार अमावस्या शुक्रवार यानी 9 जुलाई, 2021 को पड़ रही है। ये आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या होगी। अमावस्या 9 जुलाई को प्रातः 5 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 10 जुलाई को प्रातः 6 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी।
दर्श अमावस्या का महत्व:
जैसा कि हमने कहा कि इस दिन चन्द्रमा की पूजा की जाती है। जिसकी कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर हो यूं व्यक्तियों के लिए इस दिन पूजा करना अत्यंत लाभकारी साबित हो सकता है। कहा जाता है कि अगर कुण्डली में चन्द्र की स्तिथि कमज़ोर हो तो इंसान को मानसिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये हर काम में बाधा आने की सम्भावना को बढ़ाती है। ऐसे में अगर इस दिन चंद्रदेव की पूजा विधिवत रूप से पूजा की जाए तो ये दोष कम होता है।
दर्श अमावस्या को श्राद्ध की अमावस्या कहकर भी स्माबोधित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूर्वजों का धरती पर आगमन होता है। इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृदोष का निवारण होता है और साथ ही पितरों का आशीर्वाद ग्रहण होता है। इस दिन पूजा करने से और व्रत रखने से काफ़ी पुण्य मिलता है और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
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दर्श अमावस्या पूजा की विधि:
इस दिन पितृ दोष मिटाने के लिए और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दान धर्म का कार्य करना चाहिए। आप अपनी सक्षमता अनुसार दान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन गंगा नदी में स्नान करना भी काफ़ी महत्वपूर्ण माना गया है।
हालांकि ये हर किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए अगर आप गंगा के पास ना जा पाएं तो कम से कम कोशिश करें की किसी भी तालाब या नदी के तट पर ही स्नान कर लें। इसके अलावा इस दिन महादेव, मां पार्वती और मां तुलसी की भी पूजा की जाती है। इससे जीवन में सुख समृद्धि आती है।
कहा जाता है अमावस्या पर व्रत रखके शिव जी की आराधना की जाए तो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव जी की अर्चना करने से सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि चंद्रदेव भी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
दर्श अमावस्या पर शिव जी को प्रसन्न करने के लिए आपको 'ओम नमः शिवाय' का जाप भी करना चाहिए। इसके अतिरिक्त चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए आप 'ओम श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः' का जाप कर सकते हैं। ये चंद्रदेव का बीज मंत्र है। चंद्रदेव का आशीर्वाद भाग्य को अपने हित ने करने के लिए और जीवन में संघर्षों को कम करने के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है।
अंततः, दर्श अमावस्या का दिन काफ़ी महत्व का दिन है। अगर संभव हो तो इस दिन चंद्रदेव, भगवान शिव, मां पार्वती, मां तुलसी और पितरों की पूजा ज़रूर करें। साफ-सच्चे मन से और विधिवत रूप से ईश्वर की आराधना करें।
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