चातुर्मास में गंगा स्नान का महत्व
20 जुलाई 2021 से चातुर्मास का आरंभ हो रहा है. और इसी के साथ शुरु हो रहा है गंगा स्नान भी. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयन एकादशी के दिन से ही आने वाल चार मास तक गंगास्नान का विशेष महत्व होता है. वैसे तो गंगा स्नान हर दिन ही अत्यंत शुभदायी होता है, लेकिन चातुर्मास के समय पर गंगा स्नान की महत्ता का वर्णन विष्णु पुराण, भागवत एवं वामन पुराण इत्यादि में भी प्राप्त होता है.
चातुर्मास मानसिक एवं आत्मिक शुद्धि का समय
चातुर्मास एक अत्यंत ही शुभ एवं उत्तम गति प्रदान करने वाला समय होता है, इस समय पर गंगा स्नान द्वारा हमारे मानसिक एवं आत्मिक कर्मों की शुद्धि होती है. हिन्दू पंचांग का एक अत्यंत ही पावन समय होने के कारण गंगा स्नान के साथ जुड़ कर अमोघ फलदायी बन जाता है. गंगा स्नान का ये समय चार पवित्र मास से मिलकर बनता है. ये जो मिलकर चार माह बनते हैं इस कारण ये चौमासा या चातुर्मास कहलाते हैं. गंगा स्नान का यह एक ऎसा समय है जिसका हर दिन अपने आप में नवीनता और उत्साह का पैगाम लाने वाला होता है.
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पौराणिक शास्त्रों में चातुर्मास गंगा स्नान का महत्व
इस चातुर्मास के प्रत्येक दिन गंगा स्नान करने से जीवन पवित्रता से भर जाता है. गंगा स्नान का महत्व काशी खंड में पढ़ने को मिलता है. इसके अलावा स्कंद पुराण में गंगा एवं अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने की महत्ता को बहुत ही सुंदर शब्दों में वर्णन मिलता है. उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत सभी ओर इस समय पर गंगा का स्पर्श या स्नान करने की बहुत अधिक महत्ता रही है. संपूर्ण भारत वर्ष में इस समय पर गंगा स्नान की शुभता का वर्णन विभिन्न भाषाओं के ग्रंथों में प्राप्त होता है.
चातुर्मास के समय पर धार्मिक कर्म जैसे यज्ञ, अनुष्ठान एवं विवाह इत्यादि मांगलिक कृत्यों पर कुछ समय के लिए रोक लग जाती है. ऎसे में गंगा स्नान द्वारा जीवन में शुचिता एवं आद्यात्मिकता की पूर्ति भी होती है. ये वो समय होता है जब वर्षाकाल का समय बहुत अधिक तीव्रता लिए होता है. संपूर्ण मौसम में बदलाव होता है. मेघों द्वारा बरसाया गया नवीन जल गंगा जी के पावन जल में मिलकर अत्यंत शुभ बन जाता है. ऎसे में इस समय पर ब्रह्म मुहूर्त समय पर किया गया गंगा स्नान स्वास्थ्य एवं मानसिक शुद्धि के लिए अत्यंत लाभदायक बन जाता है.
कब शुरु होता है चातुर्मास में गंगा स्नान
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन से ही जब चातुर्मास शुरु होता है तब गंगा जी में स्नान करने का एक अनवरत क्रम जारी होता है. इस समय पर गंगा जी में स्नान के साथ ही, अन्य नियमों का पालन किया जाता है जैसे इस समय पर सात्विकता का पालन करने पर बल दिया जाता है. खान पान में शुद्धि और शुचिता को प्रथम स्थान दिया गया है. इन नियमों का पालन करने से स्वास्थ्य उत्तम होता है और किसी प्रकार के रोगों का भय नहीं सताता है. चातुर्मास को चौमासा के नाम से भी जाना जाता है और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होकर ये समय आने वाली कार्तिक शुक्ल एकादशी तक निरंतर चलता रहता है. ये समय गंगा स्नास्न एवं मंत्र जाप, व्रत-उपवास एवं दान कर्म इत्यादि के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है.
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