आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक चातुर्मास्य व्रत का आरंभ करने से भक्ति एवं शक्ति की प्राप्ति होती है. चातुर्मास के समय किए जाने वाले दान पुण्य को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल प्राप्ति का लाभ माना गया है. चातुर्मास्य व्रत करने से जीवन में मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है.
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चातुर्मास के नियम और प्रभाव
चातुर्मास के समय व्यक्ति को सदैव अपने जीवन में संयम को अपनाना चाहिए. जीवन में यदि शुभ फलों की प्राप्ति करनी हो तो इस समय जप तप करना प्रिय वस्तु की इच्छा को पूर्ण करने वाला होता है. चातुर्मास में जो व्यक्ति श्रद्धा और पुरुषार्थ से अपने प्रिय भोगों का त्याग करता है, उसे त्याग की गई वस्तुएं अक्षय रूप में प्राप्त होती हैं.
चातुर्मास में गुड़ का त्याग करने से मनुष्य को मिठास की प्राप्ति होती है. जो व्यक्ति चातुर्मास में दही का त्याग करता है उसे गोलोक की प्राप्ति होती है. चातुर्मास में ताम्बूल का त्याग करने से व्यक्ति भोग-विलास से समृद्ध होता है और उसकी आवाज मधुर हो जाती है. चातुर्मास में नमक का त्याग करने वाले के सभी शुभ कार्य सिद्ध होते हैं.
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चातुर्मास में किन चीजों का रखें ध्यान
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब श्रीहरि योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं, तब चार माह यानी कार्तिक पूर्णिमा तक भूमि पर शयन करने के साथ आचरण की शुद्धि को अपनाने का नियम बताया गया है. ऐसा करने वाले व्यक्ति को बहुत धन की प्राप्ति होती है और उसे सुखों की प्राप्ति होती है. चातुर्मास में अनार, नींबू, नारियल और मिर्च, उड़द और चने से परहेज करने के नियम बताए गए हैं. चातुर्मास के समय हिंसा छोड़ कर सभी के प्रति निस्वार्थ प्रेम का परिचय देना चाहिए.