* सूर्य
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः'
पौराणिक मन्त्र-'जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।'
जप संख्या- 7000
रत्न- माणिक्य
* चंद्र
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'दधिशघ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम्।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्।।'
जप संख्या- 11000
रत्न- मोती
* मंगल
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 10,000
रत्न- मूंगा
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* बुध
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 9,000
रत्न- पन्ना
* गुरू
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'देवानां च ट्टषीणां च गुरूं कांचनसन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।'
जप संख्या- 19,000
रत्न- पुखराज
* शुक्र
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 16,000
रत्न- हीरा
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* शनि
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।'
जप संख्या- 23,000
रत्न- नीलम
* राहु
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'ऊँ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या- 18,000
रत्न- गोमेद
* केतु
तान्त्रिक मन्त्र- 'ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः केतवे नमः'
पौराणिक मन्त्र- 'ऊँ पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।'
जप संख्या-17,000
रत्न- लहसुनिया
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