यहाँ एक बात समझने की जरूरत है ।
लग्न स्थान आपका शरीर है आपका जीवन है लग्न से द्वादश भाव भी मारक होता है हम सदैव इन दो भाव द्वितीय भाव एवं सप्तम भाव को मारक भाव मानते जबकि लग्न से द्वादश भाव भी मारक भाव मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
इन मारक भावों का विचार लग्न कुंडली ( शरीर का विचार ) चन्द्र कुंडली (मन का विचार ) सूर्य कुंडली ( आत्मबल का विचार ) इन तीनो लग्नो से विचार करना चाहिए ।
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सामान्यतः हम लोग समझते हैं कि मारकेश से मृत्यु होना ही नहीं माना जाता है मृत्यु के अनेक कारण होते हैं ज्योतिष में मृत्यु शरीर के मरने से नहीं होती अपितु जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट होना भी मृत्यु के समान ही माना गया है किसी भी कारण से भय होना ,शत्रु से पीड़ित होना, पारिवारिक जीवन में क्लेश होना अथवा पारिवारिक परेशनी बढ़ना , अपमानित होना, एवं आपके व्यक्तित्व पर ठेस पहुंचाना ,मानसिक तनाव होना धन हानि या व्यापार एवं आपके कार्य क्षेत्र में हानि होना ,सदैव रोग से पीड़ित बने रहना अथवा स्वयं का लज्जित होना ये सभी प्रकार की स्थति मृत्यु तुल्य कष्ट के समान मानी जाती है मारक दशा होने पर।
लग्न भाव , तृतीय भाव, अष्टम भाव ये तीनों भाव आयु के माने गए हैं और इनसे व्यय स्थान मारक भाव माने जाते हैं और व्यय भाव के स्वामी मारकेश होते है ।
लग्न - लग्न आपका शरीर ,स्वास्थ्य, व्यक्त्वि आदि को दर्शाता है इनमें किसी भी प्रकार से कमी या हानि होना मृत्यु तुल्य ही है ।
तृतीय भाव -तृतीय भाव आपकी आयु साहस बल पराक्रम साझेदारी का बल भाई बहन आदि को दर्शाता है भाई , बहिन व साझेदारी से मनमुटाव,पीड़ा, विछोह होना इत्यादि मृत्यु तुल्य ही कष्ट माना जाता है ।
अष्टम भाव - आयु ,कष्ट जैल ,यात्रा अपमान आदि को दर्शाता इसके कारण भी मृत्यु तुल्य माना जाता है ।
अब मारक भाव पर विचार करते हैं ।
1. यदि लग्न और चंद्रमा पाप ग्रह से पीड़ित होना बल हीन हो अस्त हो लग्न या चन्द्रमा 6,8,12 वे भाव मे हो और उस समय मारकेश की दशा हो तो जातक को कष्ट और मृत्यु तुल्य परेशानी आती है।
2. गुरु, शुक्र यदि दूसरे और सप्तम भाव के स्वामी हो तो प्रबल मारकेश होते हैं और उससे कम बुध और चंद्रमा होते हैं बुध शुक्र ,गुरु, चंद्र जब मारक कारक शनि से संबंध होने से मारक में प्रबलता आती है ।
3. सूर्य के सहित चंद्र चतुर्थ भाव में बुध पंचम भाव में षष्ठम में शुक्र और द्वितीय भाव में मंगल सप्तम में शनि सूर्य के साथ हो तो मारकेश न रहने पर भी अन्य ग्रहों की दशा मारक हो जाती है ।
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जैसे शनि , मंगल ,बुध की महादशा में जन्म लेने वालों के लिए मंगल ,गुरु,राहु की दशा मारक तुल्य दशा होगी ।
किस बात का अवश्य ध्यान रखना कि लग्न का स्वामी मारकेश का मित्र है या शत्रु है यदि मित्र है तो अधिक परेशनी नही लेकर आएगा ।
सूर्य और चन्द्र का अष्टमेश मित्र है अथवा लग्न मित्र है तभी मारकेश अधिक परेशनी नही लेकर आएगा ।
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