* शिवरात्रि के दिन जिस मंदिर में शिव पार्वती विवाह का अनुष्ठान हुआ हो। कन्या वहां जाय और विवाह की पूरी विधि को देखे। इस विवाहोत्सव में ‘लाजा’ (खील) भी बिखेरे जाते हैं। कन्या प्रातःकाल मंदिर जाए और वहां से इन खील के 11 दाने चुन कर खा ले। शीघ्र विवाह का योग बनेगा।
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* रामचरितमानस के शिव पार्वती विवाह प्रसङ्ग का 11 सोमवार तक सश्रद्धा पाठ करें।
" श्रीरामजानकी के विवाह प्रसङ्ग का पाठ भी आश्चर्यजनक सफलता देता है।
* यदि कालसर्पयोग के कारण विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो वैदिक विधि से इस दोष की शान्ति घर में करवाएँ। शुद्ध स्वर्ण के आठ नाग (सवाग्राम प्रति) बनवाकर जल में प्रवाह दें।
वैवाहिक कलहपूर्ण जीवन से मुक्ति
* इन परिस्थितियों को उत्पन्न करने वाले ग्रहों की पहचान योग्य ज्योतिषी से करवाने के बाद उत्तरदायी ग्रहों की शान्ति करवाएँ।
* पति की अवहेलना तथा तिरस्कार से पीडि़त कन्याएँ अधोलिखित मन्त्र का 108 बार जप नित्य करें। आश्चर्यजनक फल शीघ्र ही प्राप्त होंगे-
‘‘अभित्वा मनुजातेन दधामि मम वासना।
यशसो मम केवलो नान्यसा कीर्तयश्चन।।
यथा नकुलो विच्छिद्य संदधात्यहिं पुनः।
एवं कामस्य विच्छिन्नं से धेहि वो यादितिः।।
ऊँ क्लीं त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पतिवेदनम्।
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् क्लीं ऊँ।।’'
संपूर्ण जप काल में घी का दीपक प्रज्जवलित रखें।
शीघ्र फलदायक शाबर मन्त्र
यदि किसी पराई स्त्री अथवा पर पुरूष के कारण वैवाहिक जीवन विषाक्त हो रहा हो तो यह प्रयोग करें-
‘‘ओम् सत्यनाम आदेश गुरू को, लौंग-लौग मेरा भाई, इन्हीं लौंग ने शक्ति चलाई पहली लौंग राती मती, दूजी लौंग जोबन मती, तीजी लौंग अंग मरोड़े, चौथी लाैंग दोऊ कर जोड़े, चारों लौंग जो मेरी खाय---------- के पास से --------------- के पास आ जाय, गुरू की शक्ति मेरी भक्ति, फुरोमन्त्र ईश्वरी वाचा।’’ चार साबुत लौंग लें। उपरोक्त मन्त्र को 108 बार पढ़कर इस लौंग को खिला दें। पहले खाली स्थान में परस्त्री या परपुरूष का नाम हो जबकि दूसरे खाली स्थान में उपासक अपना नाम रखें।
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रत्नधारण व रूद्राक्ष
* वैवाहिक विलम्ब के सन्दर्भ में गणेश रूद्राक्ष धारण करना चमत्कारिक फल देता है।
* वैवाहिक सुख हेतु बृहस्पति तथा शुक्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जहाँ वैवाहिक जीवन के आरम्भ हेतु बृहस्पति उत्तरदायी हैं। वहीं शुक्र शय्या सुख व शारीरिक सुख प्रदान करते हैं। इनसे सम्बन्धित शान्ति उपाय सुखद वैवाहिक जीवन की कुञ्जी सिद्ध होती है।
* वैवाहिक विलम्ब व प्रतिबन्ध आदि परिस्थिति में पीला पुखराज (निर्दोष) साढ़े सात रत्ती का लें। स्वर्ण की मुद्रिका में बनवाकर गुरूवार के दिन तर्जनी अंगुली में धारण करें।
* शारीरिक अक्षमता आदि के कारण वैवाहिक जीवन नष्ट हो रहा हो तो हीरा (न्यूनतम एक कैरेट) धारण करेे।
* गौरी शंकर रूद्राक्ष विधि-पूर्वक धारण करने से वैवाहिक जीवन की विसंगतियों का नाश सहज ही हो जाता है।
* जन्माङ्ग में यदि वैधव्य या विधुर होने का योग हो तो एकमुखी रूद्राक्ष स्वर्ण में जड़वाकर धारण करें।
* जीवन संबंधी संकट हो तो महामृत्युञ्जय मंत्र का अनुष्ठान योग्य पुरोहित के निर्देश में करें।
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