हनुमान जी का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। इस प्रवर्ति के सभी मनुष्य मुख व पूछ से बन्दर समान लगते थे परन्तु उनकी बुद्धिमता और शारीरिक बल मनुष्यों से बहुत अधिक थी। इस नस्ल के प्राणी अब पूर्ण रूप से समाप्त हो चुके हैं परन्तु हनुमान जी अपने वरदान के कारण आज भी सशरीर पृथ्वी पर ही रहते हैं। हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था परन्तु पिता का नाम केसरी था। उनके पिता कपिराज अर्थात कपि जाति के राजा थे। माता पिता के नाम से हनुमान जी को आंजनेय और केसरीनंदन भी कहा जाता है।
आज हरियाणा का कैथल पहले करनाल जिले का भाग हुआ करता था। मान्यताओं के अनुसार यही हनुमान जी का जन्म स्थल कपिस्थल था। परन्तु गुजरात के डांग जिले के आदिवासियों का मानना है की उस जिले में स्थित अंजना पर्वत में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। हनुमान जी से जुड़ें तथ्य काफी रोचक है। एक बार की बात है की हनुमान जी ने अपना शरीर पीले सिंदूर से पूरा रंग लिया था क्योंकि उन्होंने माता सीता से सुना था की सिंदूर अपने प्रिय की लंबी आयु के लिए लगाया जाता है। भगवान श्री राम की लम्बी आयु के लिए हनुमान जी ने ऐसा किया था।
मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी धरती पर विचरण करते हैं। वह कलयुग के अंत तक सशरीर यही पर रहेंगे। हनुमान जी को धर्म की रक्षा करने के लिए अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था जिसके कारण वह आज भी जीवित हैं। माना जाता है की कलयुग में जो हनुमान जी की भक्ति करेगा तथा प्रभु श्री राम का नाम जपेगा वही सुरक्षित रहेगा। हनुमान जी अपार बलशाली और वीर हैं एवं उनका कोई भी सानी नहीं है।
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