गुप्त नवरात्रि 2020 : हिन्दू धर्म के अनुसार देवी सती जब अपने पिता द्वारा किए अपने पति के अपमान को सहन न कर सकी तो उन्होंने अग्नि कुंड में कुदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। यह बात उनके पति यानि की महादेव सहन न कर सकें और वियोग में आकर क्रोध में सती का मृत शरीर लेकर तांडव करने लगे। शिव का यह रूप देख कर सभी भयभीत हो गए।
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इस वियोग को समाप्त करने हेतु भगवान विष्णु ने अपने चक्र से देवी सती का शरीर 51 हिस्सों में विभाजित कर दिया। जहां - जहां भी देवी के अंग गिरे , वह सभी शक्तिपीठ में परिवर्तित हो गए। अनेकों स्थान पर इन शक्तिपीठों की विधि - विधान से आराधना की जाती है। परन्तु इन में ऐसे भी कुछ स्थान है जो आज तक गुप्त माने जातें है।
रत्नावली शक्तिपीठ :
मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर देवी का कन्धा गिरा था , परन्तु आज भी इस स्थान पर शक्तिपीठ का वास्तविक स्थान अज्ञात ही है। यह शक्तिपीठ फ़िलहाल बंगाल में स्थित है पर यदि वास्तविक स्थान की माने तो अनुमान के अनुसार वह कही चेन्नई शहर के आस पास होने की सम्भावना है।
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कालमाधव शक्तिपीठ :
इस शक्तिपीठ में देवी को कालमाधव और शिव "असितानन्द" के नाम से विराजित माने जातें है। यहाँ देवी का कूल्हा गिरा था। यह अमरकंटक , मध्य प्रदेश में स्थित माना जाता है। परन्तु इसका वास्तविक स्थान अभी भी अज्ञात है।
लंका शक्तिपीठ :
लंका शक्तिपीठ में कथन की माने तो देवी का कोई गहना यानि की आभूषण गिरा था। इस स्थान पर देवी सती को इंद्राक्षी और शिव रूप भैरव को रक्षेश्वर के नाम से जाना जाता है। पुराणों में इस स्थान के बारें में बताया गया है , परन्तु इसकी वास्ततिक स्थान की कोई जानकारी अभी तक प्राप्त नहीं हो पायी है।
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पंचसागर शक्तिपीठ :
इस स्थान पर देवी का निचला जबड़ा गिरा था। इस स्थान पर देवी को वरही के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में इस स्थान का उल्लेख अवश्य है परन्तु वास्तविक स्थान की कोई जानकारी नहीं है।
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