- माँ काली : यह हिन्दू धर्म में प्रमुख देवी के रूप में पूजी जाती है। यह सुंदरी माँ दुर्गा का विनाशकाय रूप मानी जाती है। इनकी उत्पत्ति का कारण राक्षसों का विनाश करने हेतु माना जाता है। इनकी तुलना समय से की गई है।
- तारा देवी : तारा देवी दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर विराजित है। यह शक्ति स्वरुप है जिन्हे तारने वाली देवी माना जाता है।
- माँ छिन्नमस्ता : देवी छिन्नमस्तिका या प्रचंड चंडिका , यह दस महाविद्याओं में तृतीया स्थान पर है। इन्होने अपने एक हाथ में अपना कटा हुआ शीश रखा हुआ है तथा दूसरे हाथ में कटार है।
- देवी षोडशी : यह देवी त्रिपुरसुन्दरी के नाम से भी जानी जाती है। यह भक्तों को इच्छानुसार फल प्रदान करने वाली देवी के रूप में जानी जाती है।
- माँ भुवनेश्वरी : भुवनेश्वरी का अर्थ होता है वह देवी जो संसार का समस्त ऐश्वर्य अपने आँचल में समेटें हुए हो। यह अपने भक्तों को धन - धान्य एवं वैभव प्रदान करने वाली देवी के रूप में जनि जाती है।
- माँ त्रिपुरभैरवी : यह दस महाविद्याओं में पांचवा स्थान ग्रहण किए हुए है। इनके विषय में समस्त बातें सदैव से ही गोपनीय रखी गई है। यह भक्तों की रक्षा करने वाली देवी के रूप में जनि जाती है।
- देवी धूमावती : यह देवी माता पार्वती का ही दूसरा स्वरुप है। मान्यता है की एक बार जब उन्हें बहुत भूख लगी थी और उन्होंने महादेव से कुछ खाने की इच्छा व्यक्त की तो शिव ने उन्हें कुछ क्षण प्रतीक्षा करने को कहा। यह अपनी भूक सहन न कर सकी और महदेव को निगल गयी जिसके कारण इन्हे बहुत कष्ट भोगना पड़ा था। तभी से वह अपने सभी भक्तों के कष्टों को दूर करती है।
- माँ बगलामुखी : यह देवी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या है। इन्हे माता पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है। यह इतनी शक्तिशाली है की समस्त संसार की शक्ति मिलकर भी इन पर विजय प्राप्त नहीं कर सकती। यह अपने भक्तों को अत्यंत शक्ति प्रदान करती है ताकि वह अपने विरोधियों पर विजय प्राप्त कर सकें
- देवी मातंगी : शास्त्रों के अनुसार शिव को मतंग कहा गया है और उनके साथ शक्ति का स्वरुप देवी मातंगी है। इनके बारें में विशेष बात यह है की इन्हे सदैव जूठा भोग लगाया जाता है। कहा जाता है की बिना जूठा किया भोग देवी को अर्पण करने से मनोकामनाओं की पूर्ति नहीं होती है।
- कमला देवी : इन्हे तांत्रिक लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। यह है तो शक्ति स्वरुप पर इन्हे देवी लक्ष्मी से बहुत भिन्न माना जाता है। यह अपने भक्तों को सुख - समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।
गुप्त नवरात्रि : दस महाविद्याओं के महा मंत्र
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