प्रत्येक माह की षष्टी तिथि को कार्तिकेय जी की पूजा करना अति आवश्यक होता है। ऐसा करने से संतान प्राप्ति व संतान से जुड़ें दुखों का नाश होता है। इस दिन व्रत करना बहुत फलदायी होता है जिसके कारण हर माँ को यह उपवास करना चाहिए। इस व्रत से उनके बच्चे पर आए सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। स्कंद षष्टी के दिन कार्तिकेय जी को समर्पित होकर पूजने पर पुराणों में इसका अनूठा महत्व बताया गया है। इस दिन शिव और शक्ति की भी सच्चे मन से पूजा करनी चाहिए। पुत्र कार्तिकेय के साथ - साथ यदि इनकी पूजा की जाए तो वह शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। अपने भक्तों को किसी चीज़ की कमी नहीं होने देते। खुशियों से उनका जीवन भर देते हैं।
हनुमान जयंती पर नौकरी प्राप्ति, आर्थिक उन्नत्ति, राजनीतिक सफलता एवं शत्रुनाशक हनुमंत अनुष्ठान - 8 अप्रैल 2020
कथन के अनुसार जब भगवान शिव माँ सती के वियोग में थे तब तारकासुर नाम के असुर ने मौक़े का फ़ायदा उठाकर देवों पर आक्रमण कर संसार में विनाश करना शुरू कर दिया था। देवों के अनुरोध से शिव और माता पार्वती ने कार्तिकेय जी की उत्पत्ति की गयी। यह 6 अलग - अलग अप्सराओं के गर्भ से 6 बालकों के रूप जन्में थे। वह सभी बालक तत्पश्चात एक ही में सम्मिलित हो गए थे। कार्तिकेय ने ही तारकासुर का वधकर देवों को उनका स्थान दिलाया था। मान्यतों के अनुसार देवी स्कंदमाता कार्तिकेय की माता थी। यदि उनकी पूजा कार्तिकेय जी की पूजा के साथ की जाएं तो वह शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं।
यह भी पढ़े
देवी दुर्गा की नौवीं शक्ति हैं माँ सिद्धिदात्री
जानिए शुक्ल पक्ष की नवमी को क्यों कहा जाता है राम नवमी
विष्णु की पूजा से होगी धन - धान्य की प्राप्ति