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गंगा दशहरा 2020 : गंगा दशहरा कैसे कहलाया माँ गंगा के अवतरण का दिन ?

MyJyotish Expert Updated 30 May 2020 01:53 PM IST
Ganga Dussehra 2020: How was Ganga Dussehra called Mother Ganga's descent?
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गंगा दशहरा 2020 : 1 जून , 2020 सोमवार जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूर्ण भारत में मनाया जाएगा स्नान एवं दान का महापर्व गंगा दशहरा। मान्यताओं के अनुसार इस दिन विभिन्न वस्तुओं को दान करने से माँ गंगा के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है जिससे व्यक्ति द्वारा जाने - अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। यह पाप किसी भी प्रकार के हो सकते है चाहे वह मानसिक हो , शारीरिक हो या फिर वाणी द्वारा किए हुए। माँ गंगा के आशीष से व्यक्ति तन अथवा मन दोनों ही रूपों से स्वस्थ हो जाता है। पुराणों के अनुसार माँ गंगा महाकाल शिव - शंकर जी जटाओं में वास करती है। भारत में उनकी धारा गंगोत्री से प्रारम्भ होकर देश भर में भ्रमण करती है। माँ गंगा के जल के स्पर्श मात्र से ही व्यक्ति निर्मल हो जाता है।

 


गंगा दशहरा पर 10 दान से पाएं समस्त पापों से छुटकारा

पौराणिक कथनों के अनुसार एक राजा सगर से यज्ञ का आयोजन किया। वह यज्ञ बहुत महत्वपूर्ण था इसलिए उसको सँभालने एवं उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी  उन्होंने अपने पौत्र अंशुमान को दी। यह यज्ञ संपन्न न हो पाएं इसलिए इंद्र ने यज्ञ का घोड़ा अपहरण कर लिया। अश्व न होने के कारण यज्ञ में विग्न पड़ रहा था। यह संकट को दूर करने के लिए अंशुमान ने साठ हजार सैनिकों की सेना के साथ अश्व की खोज शुरू कर दी परन्तु अश्व नहीं मिला। अश्व की खोज के लिए पृथ्वी को खोदा गया जिससे महर्षि कपिल के पास यज्ञ का अश्व घास चर्ता प्राप्त हुआ।

गंगा दशहरा पर हरिद्वार गंगा घाट पर कराएँ 10 महादान- पाएँ 10 पापों से मुक्ति - 1 जून 2020

महर्षि कपिल घोर तप में लीन थे परन्तु प्रजा को लगा की उन्होंने ही यज्ञ का अश्व गायब किया था। और तभी सब जोर - जोर से चोर के नारे लगाने लगे। यह सुनकर महर्षि का तप भंग हो गया और उन्होंने ने अपने नेत्र खोले जिससे निकलती तेज से समस्त प्रजा भस्म हो गयी। उन्ही लोगों के उद्धार के लिए राजा भागीरथ ने कठोर तप किया और माता गंगा को धरती पर आने का आग्रह किया। उनकी निष्ठा और परोपकार की भावना को देखते हुए माँ गंगा धरती पर अवतरित होकर धरती को पावन बना देती है।

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