भानु सप्तमी में कैसे करें पूजा
- इस दिन व्रती को प्रात:काल स्नान करना चाहिए स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें अब पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाएं इसके बाद सूर्य देव का लाल चंदन, अक्षत्, लाल फूल, धूप, गंध आदि से विधिपूर्वक पूजा करें इसके पश्चात कपूर या गाय के घी वाले दीपक से आरती करें ।
- अब तांबे के स्वच्छ पात्र में गंगाजल मिश्रित जल लें, उसमें अक्षत्, लाल फूल और लाल चंदन शामिल कर लें इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और इस दौरान 'ओम सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें भानु सप्तमी के दिन हो सके तो, भोजन में नमक का इस्तेमाल न करें ।
- जिन लोगों को एकाग्रता और यादाश्त की समस्या है, उनको आज के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए इससे आपको अवश्य ही लाभ होगा ।
भानु सप्तमी व्रत कथा
प्राचीन काल में इंदुमती नाम की एक वैश्या थी एक बार उसने ऋषि वशिष्ठ से पूछा कि, ‘मुनिराज मैंने आज तक कोई भी धार्मिक काम नहीं किया है लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं मृत्यु के बाद मुझे मोक्ष प्राप्त हो तो यह कैसे प्राप्त हो सकता है ?’
इंदुमती की इस बात को सुनकर वशिष्ठ जी ने जवाब दिया कि महिलाओं को मुक्ति, सौभाग्य, और सौंदर्य देने वाला अचला सप्तमी या भानु सप्तमी से बढ़कर कोई व्रत नहीं होता है इस दिन जो कोई भी स्त्री सच्चे मन से पूजा करती है और व्रत रखती है उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है, इसलिए तुमको भी अगर मोक्ष की चाह है तो तुम्हें इस दिन व्रत करना चाहिए और विधि पूर्वक पूजन इत्यादि करना चाहिए, जिससे तुम्हारा कल्याण हो जाएगा ।
वशिष्ठ जी की बात सुनकर इंदुमती ने इस व्रत का पालन किया और मृत्यु के पश्चात उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई स्वर्ग में उन्हें अप्सराओं की नायिका बनाया गया इसी मान्यता के आधार पर इस व्रत का विशेष महत्व माना जाता है।
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