इस दिन भगवान लक्ष्मी नारायण का पूजा करा जाता है और इस दिन व्रत भी रखा जाता है। जैसे सत्यनारायण की पूजा करी जाती है वैसे ही बड़ी नवमी पर भी भगवान लक्ष्मी नारायण का पूजा करा जाता है. केले के पत्तों से मंडप सजा कर एक चौकी में लक्ष्मी नारायण जी की मूर्ति रखकर उनका पूजा संपन्न करा जाता है और फल पंचामृत मिठाई लेकर भगवान की आरती की जाती है और सभी को प्रसाद बांटा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग चातुर्मास में व्रत रखते हैं वह लोग भी इस दिन चातुर्मास करने का संकल्प भगवान विष्णु के लिए लेते हैं।
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बड़ली नवमी पूजा की विधि:
1. बड़ली नवमी के दिन जैसा कि हम जानते हैं भगवान विष्णु का पूजा करी जाती है। भड़ली नवमी के दिन भगवान विष्णु को शुद्ध घी चढ़ाना चाहिए इससे हमारे जीवन में सुख शांति और मोक्ष की प्राप्ति होगी और भगवान विष्णु हमें आशीर्वाद देंगे।
2. गुप्त नवरात्रि का समाप्ति होती है इस दिन इसीलिए देवी दुर्गा को खुश करने के लिए हम कोई भी मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और घर में हवन जरूर करें आदि कन्या पूजन भी।
3. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से भड़ली नवमी के दिन हमें सुख समृद्धि और खुशी की प्राप्ति होती है जीवन में हमें सफलता मिलती है और हम शांति से अपना जीवन बिताते हैं ना ही सिर्फ यह बल्कि शुभता में वृद्धि भी होती है।
मान्यता है कि भड़ली नवमी के दिन अबूझ मुहूर्त निकलता है अर्थात अगर हम भड़ली नवमी के दिन विवाह का सोचे तो वह संपूर्ण होता है। अगर हम कई दिनों से सोच रहे हो की विवाह नहीं हो पा रहा है या परेशान हो रहे हो तो यह दिन शादी के लिए उत्तम दिन माना जाता है इस दिन हम किसी भी समय विवाह कर सकते हैं बिना किसी डर के और दिन पूरा दिन ही शुभ माना जाता है।
4. इस दिन हम बिना शुभ मुहूर्त देखे ही किसी भी वाहन की खरीदारी कर सकते हैं चाहे वह दुकान हो या बिजनेस की शुरुआत हम कुछ भी कर सकते हैं। इसीलिए भड़ली नवमी को इतना महत्व दिया जाता है क्योंकि फिर इसके बाद 4 महीने तक विवाह मुंडन सभी प्रकार के मांगलिक कार्य से दूर रहना पड़ता है।
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