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Home ›   Blogs Hindi ›   Happy Basant Panchami Saraswati Puja, Why is Vasant Panchami Celebrated

बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है और उसका महत्व

Myjyotish Expert Updated 12 Jan 2021 04:25 PM IST
Astrology
Astrology - फोटो : Myjyotish
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हिंदू धर्म में हर साल बसंत पंचमी बड़ी ही धूम-धाम से मनाई जाता है। इस दिन सभी लोग अपने घरों में मां सरस्वती को लाते हैं उनकी पूजा अर्चना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती को समर्पित होता है। इस दौरान ना ही ज्यादा सर्दी होती है और ना ही ज्यादा गर्मी इसी कारण इसे ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा होती है और साथ ही उन्हें पीले रंग से बनी चीज़ों का भोग भी लगाया जाता है।

बसंत पंचमी के दिन कैसे करें मां सरस्वती की पूजाः
1. इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर उन्हें फूल अर्पित करने चाहिएं।
2. इस दिन वाद्य संत्रों और किताबों की पूजा करनी चाहिए।
3. छोटे बच्चों को पहली बार अक्षरों ज्ञान इसी दिन करवाना चाहिए और उन्हें किताबें भेंट करनी चाहिए।
4. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है।
5. इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करना चाहिए। बंगाल में इस दिन पीले रंग की खिचड़ी खाई जाती है।

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बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती हैः
हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए। लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।

मां सरस्वती की आरतीः
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

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