वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुछ दिन और तिथियां ऐसी होती हैं जिनमें किसी भी शुभ कार्य को आरम्भ नहीं किया जाता अपितु उनके टलने के बाद ही कार्यों में लगा जाता है।
क्या होता है 'पंचम' योग और यह कैसे बनता है?
'मुहूर्त चिंतामणि' नामक ज्योतिष ग्रंथ के अनुसार जब भी नक्षत्रों का कोई योग यदि अशुभ बनता दिखता है तो इसे 'पंचक' कहा जाता है। ज्योतिष में जब चंद्रमा कुम्भ और मीन राशि में रहता है तो उसे पंचक कहा जाता है।
चंद्रमा किसी राशि में ढाई दिनों तक वास करता है। इस प्रकार यह दशा पांच दिनों तक बनी रहती है। इन पांच दिवसों में चंद्रमा पांच नक्षत्रों शतभिषा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है। इसलिए यह पांच दिन 'पंचक' के नाम से भी जाने जाते हैं।
'पंचम' के दौरान वर्जित कार्य
वेदों में पंचक के दिनों में कई तरह के कार्यों को करना वर्जित किया गया है। जैसे कि इन दिनों में किसी को भी अपने निर्माणाधीन घर की छत नहीं डलवानी चाहिए। पलंग बनवाना, खरीदना या किसी को उसका दान करना भी वर्जित माना गया है। इन दिनों शव को जलाना भी अशुभ माना गया है। इसी प्रकार इन दिनों में दक्षिण की ओर यात्रा करने को भी अशुभ माना जाता है। इन दिनों में लकड़ी इकट्ठा करना या खरीदना भी वर्जित होता है।
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2021 में कब-कब होने वाले हैं पंचक
1. 15 जनवरी 2021 से 20 जनवरी 2021
2. 12 फरवरी 2021 से 16 फरवरी 2021
3. 11 मार्च 2021 से 16 मार्च 2021
4. 07 अप्रैल 2021 से 12 अप्रैल 2021
5. 04 मई 2021 से 09 मई 2021
6. 01 जून 2021 से 05 जून 2021
7. 28 जून 2021 से 03 जुलाई 2021
8. 25 जुलाई 2021 से 30 जुलाई 2021
9. 22 अगस्त 2021 से 26 अगस्त 2021
10. 18 सितंबर 2021 से 23 सितंबर 2021
11. 15 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 2021
12. 12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021
13. 09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021
पंचक के प्रकार
1. रविवार को पड़ने वाले पंचक को रोग पंचक कहते हैं।
2. सोमवार को पड़ने वाले पंचक को राज पंचक कहते हैं
3. मंगलवार को पड़ने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहते हैं।
4. शुक्रवार को पड़ने वाले पंचक को चोर पंचक कहते हैं।
5. शनिवार को पड़ने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहते हैं।
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