पुराणों में कहा गया है कि हर मनुष्य को हर रोज प्रातः स्नान करने के पश्चात सूर्य देव को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि ताम्बे के लोटे से जल चढ़ाना और भी शुभ होता है। इसके साथ फूल और अक्षत जल में दाल कर चढ़ाने से भगवान सूर्य और भी जल्द प्रसन्न होते हैं। जल चढ़ाने वक़्त सूर्य मन्त्र का उपचारण भी करना चाहिए। इससे मनुष्य के अंदर अच्छी ऊर्जा प्राप्त होती है।
कहा गया है कि जिस व्यक्ति का स्वास्थ हमेशा खराब रहती है, उसे प्रातः उठकर स्नान कर के सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से उसके शरीर की साड़ी कष्ट दूर हो जाएगी। कई लोगों को कुंडली में यह देखा जाता है कि सूर्य की दशा ठीक नहीं होती है। ऐसे लोगों को भी हर दिन स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इससे उनके गृह में सुधार आ सकता है।
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय हमें इन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
- जल चढ़ाते समय अपना मुख ओर रखें। जब सूर्य पूर्व की ओर हो तभी जल चढ़ाने की प्रयास करें।
- जल चढ़ाते वक़्त उसके छींटे आपके पैरों पर नहीं पड़ना चाहिए। ऐसा होने पर सूर्य देव क्रोधित होते हैं।
- ॐ सूर्याय नमः का जाप करें।
- भूल से भी बिना स्नान किए जल ना चढ़ाएं। इससे आपको कोई फल नहीं मिलने वाला है।
- कोशिश करें की ब्रह्म मुहूर्त में ही सूर्य देव को जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे अच्छा समय माना गया है।
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- आप स्वच्छ वस्त्र पहन कर ही जल अर्पित करें। ऐसा करने से लोगों पर उनकी कृपा बनी रहती है।
- जल में रोली, फूल और अक्षत अवश्य होना चाहिए।
- जल चढ़ाते समय हमेशा अपने हाथ को सर के ऊपर रखें।
- भूल ने भी अपने पैरों में चप्पल या जूते न पहनें।
- रविवार के दिन सूर्य को अवश्य जल चढ़ाना चाहिए। क्योंकि रविवार का दिन भगवान सूर्य का होता है।
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