मैंने अक्सर यह महसूस किया है कि जब किसी को रत्न धारण नहीं करने का परामर्श देता हूं तो उनमें से कई आश्चर्यचकित तो कई हताश हो जाते हैं। सामान्यतः अनेक ज्योतिषीगण राशियों से जुड़े रत्न, लग्नेश का रत्न, विवाह योग हेतु गुरू-शुक्र के रत्न धारण करने का परामर्श देते हैं।
वर्तमान में एक फैशन चल पड़ा है जिसमें लग्नेश, पंचमेश व नवमेश के रत्न लॉकेट के रूप में पहने जाते हैं। मेरे अनुसार ऐसा करना अनुचित है। रत्नों के धारण करने के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व उसके अधिपति ग्रह की जन्म कुंडली में स्थिति एवं दूसरे ग्रहों के साथ उसके संबंध का गहन परीक्षण करना चाहिए। फिर चाहे रत्न लग्नेश या किसी राशिपति का ही क्यों ना हों।
यदि धारण करने पडें एक से अधिक रत्न
यदि किसी को एक से अधिक रत्न धारण करने पड़ें तो यह आवश्यक हो जाता है कि जिस ग्रह रत्न का उपयोग करने जा रहे हैं वह कुंडली में कैसे योग का सृजन कर रहा है या किस ग्रह की अधिष्ठित राशि का स्वामी है। यदि जन्मपत्रिका में एक से अधिक रत्नों के धारण की स्थिति बन रही हो तो जो रत्न वर्जित होते हैं उनका भी पूर्ण ध्यान रखना आवश्यक है। \
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ग्रह का करें दान करें, न पहनें रत्न।
पंचधा मैत्री चक्र के अनुसार रत्न धारण करने पर ग्रहमैत्री की मुख्य भूमिका होती है। यह भी एक गलत धारणा है कि रत्न सदैव ग्रह की शांति के लिए ही पहना जाता होगा। वास्तविकता तो यह है की रत्न शुभ ग्रह के बल में वृद्धि करने हेतु धारण किया जाता है। अनिष्ट ग्रह की शांति के लिए उस उपर्युक्त ग्रह के रत्न का दान कर दिया जाता है।
विद्वान ज्योतिषी की ही सलाह मानें
कुछ रत्न ज़रूरत अनुसार ग्रह शांति के उपरांत कुछ समय के लिए धारण किए जाते हैं। जिनका निर्णय जन्मपत्रिका के परीक्षण के पश्चात किया जाता है। कोई भी रत्न धारण करने से पहले अत्यधिक सावधानी रखें। किसी विद्वान ज्योतिषी से जन्मपत्रिका के गहन परीक्षण के बाद ही आप किसी रत्न को धारण करें नहीं तो शुभ के स्थान पर अनिष्ट हो सकता है।
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