जिस तरह विक्रम संवत् में 1 चैत्र 2 वैशाख 3 ज्येष्ठ 4 आषाढ़ 5 श्रावण 6 भाद्रपद माह के नाम होते हैं । ठीक उसी तरह विक्रम संवत् के हर मास में चंद्रमास होते हैं ।
शुक्ल पक्ष (सुदी ) - अमावस्या के बाद प्रतिपदा से पूर्णिमा तक की तिथियाँ को शुक्ल पक्ष कहते हैं। जिसका तात्पर्य है । कि अमावस्या के बाद बढ़ता हुआ चांद पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष का सूचक है।
कृष्ण पक्ष ( बदी) - पूर्णिमा के बाद से अमावस्या तक की तिथियों को कृष्ण पक्ष कहते हैं । जिसका तात्पर्य यहाँ है कि पूर्णिमा के बाद घटता हुआ चांद अमावस्या तक कृष्ण पक्ष का सूचक है।
हर माह में कुछ तिथियाँ आती है । जिनके नाम कुछ इस तरह से है
1. प्रतिपदा 2 द्वितीया 3 तृतीया 4 चतुर्थी 5 पंचमी 6 षष्ठी 7 सप्तमी 8 अष्टमी 9 नवमी 10 दशमी 11 एकादशी 12 द्वादशी 13 त्रयोदशी 14 चतुर्दशी 15 पूर्णिमा 30 अमावस्या
अगर हम पूर्णिमा और अमावस्या के बीच अंतर करे तो पाएगे
पूर्णिमा शुक्ल पक्ष में आती है जबकि अमावस्या कृष्ण पक्ष में आती है। पूर्णिमा अमावस्या के बाद आती है । जब चंद्रमा अपना पूरृण आकार लेता है। जबकि अमावस्या पूर्णिमा के पश्चात आती है । जब चंद्रमा का आकार छोटा होने लगता है पूर्णिमा पर का उपवास भी किया जाता है । जबकि अमावस्या पर दान करना अच्छा होता है इस दिन इस भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है जबकि पूर्णिमा में सभी शुभ कार्य को करना अच्छा होता है ।
क्या है पूर्णिमा अमावस्या का महत्व
सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र में तिथियों का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि मनुष्यों पर विशेष प्रभाव डालती है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक साल में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या आती हैं। प्रत्येक महीने के 30 दिन को चन्द्र काल के अनुसार 15-15 दिन के दो पक्षों में विभाजित किया गया है। एक पक्ष को शुक्ल पक्ष तो दूसरे पक्ष को कृष्ण पक्ष में बांटा गया है। जब शुक्ल पक्ष चल रहा होता है उसके अन्तिम दिन यानी 15वें दिन को पूर्णिमा कहते हैं वहीं जब कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन होता है तो वह अमावस्या होती है।
क्या होती है पूर्णिमा
पूर्णिमा वाले दिन चांद अपने पूरे आकार में होता है। यानी जिस दिन आकाश में चंद्रमा अपने पूरे आकार में दिखाई देता हो उस दिन पूर्णिमा होती है। पूर्णिमा प्रत्येक महीने में एक बार जरूर आती है। धर्म ग्रंथों में पूर्णिमा को विशेष लाभकारी और पुण्यदायी होती है। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और व्रत रखने की परंपरा होती है। साल की 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा को विशेष महत्व होता है।अमावस्या के दिन नदी में स्नान कर दान-पुण्य और पितृ तर्पण करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि को व्यक्ति को बुरे कर्म और नकारात्मक विचारों से भी दूर रहना चाहिए। इस साल कुल 14 अमावस्या पड़ेंगी। साल की पहली अमावस्या 12 जनवरी को होगी। अमावस्या के दिन नदी में स्नान कर दान-पुण्य और पितृ तर्पण करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि को व्यक्ति को बुरे कर्म और नकारात्मक विचारों से भी दूर रहना चाहिए। इस साल कुल 14 अमावस्या पड़ेंगी। साल की पहली अमावस्या 12 जनवरी को होगी ।
अमावस्या के दिन एवं तिथि
दर्श अमावस्या 12 जनवरी, मंगलवार
पौष अमावस्या 13 जनवरी, बुधवार
माघ अमावस्या 11 फरवरी, बृहस्पतिवार
फाल्गुनी अमावस्या 13 मार्च, शनिवार
दर्श अमावस्या 11 अप्रैल, रविवार
चैत्र अमावस्या 12 अप्रैल, सोमवार
वैशाख अमावस्या 11 मई, मंगलवार
ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून, बृहस्पतिवार
आषाढ़ अमावस्या 09 जुलाई, शुक्रवार
श्रावण अमावस्या 08 अगस्त, रविवार
भाद्रपद अमावस्या 07 सितंबर, मंगलवार
आश्विन अमावस्या 06 अक्तूबर, बुधवार
कार्तिक अमावस्या 04 नवंबर बृहस्पतिवार
मार्गशीर्ष अमावस्या 04 दिसंबर शनिवार
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