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- जब कुंडली में लग्न की दृष्टि से मंगल पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें, या बारहवें स्थान पर हो तो ज्योतिष शास्त्र में इसे मांगलिक दोष मानते हैं।
- यदि दो मांगलिक जातकों का आपस में विवाह करवा दिया जाये तो यही मांगलिक दोष एक बहुत ही शुभ योग बन जाता है।
- इसी तरह यदि चंद्र, राहु, शनि में से कोई भी ग्रह प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, एवं द्वादश भाव में मंगल के साथ मौजूद हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है!
- यदि कुंडली में मंगल स्वराशि का हो या फिर उच्च का होकर मित्र घर में विराजमान हो तो भी मांगलिक दोष निष्प्रभावी रहता है।
- वृष, मिथुन, सिंह, व वृश्चिक लग्न की कुंडली में भी मंगल दोष ज्यादा प्रभावशाली नही होता है।
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