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ज्योतिष शास्त्र से जानें अपने जीवन में रोगों की स्थिति

Myjyotish expert Updated 05 Aug 2021 08:16 PM IST
Vaidik Jyotish
Vaidik Jyotish - फोटो : google
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वैदिक ज्योतिष में ऐसे कई योग हैं जो सेहत को लेकर कई प्रकार की संभावनाएं दर्शाते हैं रोग शास्त्र का विश्लेषण हमें विस्तार पूर्वक कुंडली से प्राप्त होता है और कुछ ऎसे योग हैं जो रोग को स्पष्ट रुप से दर्शाने वाले होते हैं तो कुछ में गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है.  स्वास्थ्य और सेहत से जुड़े मामले ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण रुप से देखने को मिल सकते हैं. किसी जातक के स्वास्थ्य के विषय में सभी प्रकार की जानकारी को हम भैषज ज्योतिष द्वारा जान सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये होती है की रोग का पहला प्रभाव लग्न से ही देखा जाता है क्योंकि अगर शरीर सही होगा तो रोग अपना प्रभाव जमाने में आसानी से सफलता नहीं पा सकेगा लेकिन अगर हमारा शरीर ही कमजोर होगा तब स्थिति परेशानी को दर्शाने वाली होगी ही. इसलिए जन्म कुण्डली में जातक के लग्न का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है स्वास्थ्य के संदर्भ में यही रोग संबंधी मामलों को दर्शाता है. ज्योतिष शास्त्र में उन बीमारियों का निर्धारण और भविष्यवाणी कर सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं और उसकी जीवनी शक्ति को प्रभावित भी कर सकती है.

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ग्रह और रोग

कुंडली में हर ग्रह और हर भाव किसी न किसी रोग को दर्शाने वाला होता है. इसके द्वारा अलग-अलग बीमारियों को समझा का सकता है. शरीर का हर अंग इनसे जोड़ा गया है. आज इस लेख में जन्म कुंडली के विभिन्न कारकों के बारे में समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे की किस प्रकार कोई ग्रह और भाव शरीर को प्रभावित करता है. कुंडली में भाव एवं ग्रहों के विश्लेषण के माध्यम से जातक के स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को समझने में हमें किस प्रकार मदद मिल सकती है इस बात को भी जानेंगे.

जन्म कुंडली में तीसरा भाव और एकादश भाव कान को दर्शाता है ये दायां और बायां कान बनता है और जिस भाव पर पाप प्रभाव होगा और कान की स्थिति किसी न किसी रुप में जातक को प्रभावित कर सकती है. इसके अलावा कंधों से संबंधित समस्याओं के लिए हमें इन्हीं भाव को समझने की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, इस को विस्तार से समझने के लिए तीसरे और ग्यारहवें घर से सप्तम भाव का भी विश्लेषण किया जाता है.  इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि कंधे या कान की समस्या का पता लगाने के लिए तीसरे, पांचवें, नौवें और एकादश भाव का विश्लेषण किया जाता है.

जन्म कुंडली में अगर इन भावों पर पाप प्रभाव हो तो ये स्थिति जातक को बहरापन दे सकती है. किसी न किसी कारण से कंधों में दर्द या कमजोरी परेशान कर सकती है. इसी के साथ ही कुंडली में कई बार इन भावों का पाप प्रभाव होने के कारण जातक को सुनने में किसी न किसी कारण से परेशानी देखने को मिलती अवश्य है.

श्रवण के लिए बुध और बृहस्पति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है इसी के साथ बौद्धिकता पर भी इन्हीं का अधिकार होता है. अगर कुंडली में लग्न पाप प्रभावित हो या फिर दूसरा भाव एवं बुध पाप प्रभावित हो तो जातक को वाणी देष भी झेलना पड़ सकता है. इसी के साथ बोलने से संबंधित रोग भी जातक को परेशान कर सकते हैं, व्यक्ति में उन्माद और मानसिक तनाव के साथ साथ सिर दर्द की स्थिति भी प्रभावित करती है.

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