ग्रह दोष होंगे समाप्त, इस सावन करवाएं विशेष नवग्रह पूजन, फ़्री में, अभी बुक करें
ग्रह और रोग
कुंडली में हर ग्रह और हर भाव किसी न किसी रोग को दर्शाने वाला होता है. इसके द्वारा अलग-अलग बीमारियों को समझा का सकता है. शरीर का हर अंग इनसे जोड़ा गया है. आज इस लेख में जन्म कुंडली के विभिन्न कारकों के बारे में समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे की किस प्रकार कोई ग्रह और भाव शरीर को प्रभावित करता है. कुंडली में भाव एवं ग्रहों के विश्लेषण के माध्यम से जातक के स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को समझने में हमें किस प्रकार मदद मिल सकती है इस बात को भी जानेंगे.
जन्म कुंडली में तीसरा भाव और एकादश भाव कान को दर्शाता है ये दायां और बायां कान बनता है और जिस भाव पर पाप प्रभाव होगा और कान की स्थिति किसी न किसी रुप में जातक को प्रभावित कर सकती है. इसके अलावा कंधों से संबंधित समस्याओं के लिए हमें इन्हीं भाव को समझने की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, इस को विस्तार से समझने के लिए तीसरे और ग्यारहवें घर से सप्तम भाव का भी विश्लेषण किया जाता है. इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि कंधे या कान की समस्या का पता लगाने के लिए तीसरे, पांचवें, नौवें और एकादश भाव का विश्लेषण किया जाता है.
जन्म कुंडली में अगर इन भावों पर पाप प्रभाव हो तो ये स्थिति जातक को बहरापन दे सकती है. किसी न किसी कारण से कंधों में दर्द या कमजोरी परेशान कर सकती है. इसी के साथ ही कुंडली में कई बार इन भावों का पाप प्रभाव होने के कारण जातक को सुनने में किसी न किसी कारण से परेशानी देखने को मिलती अवश्य है.
श्रवण के लिए बुध और बृहस्पति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है इसी के साथ बौद्धिकता पर भी इन्हीं का अधिकार होता है. अगर कुंडली में लग्न पाप प्रभावित हो या फिर दूसरा भाव एवं बुध पाप प्रभावित हो तो जातक को वाणी देष भी झेलना पड़ सकता है. इसी के साथ बोलने से संबंधित रोग भी जातक को परेशान कर सकते हैं, व्यक्ति में उन्माद और मानसिक तनाव के साथ साथ सिर दर्द की स्थिति भी प्रभावित करती है.
ये भी पढ़ें:
जानिए ऐसी कौन सी 3 राशि हैं जिनको अगस्त में होने वाला हैं लाभ, क्या आप की राशि भी उन राशियों में से एक है
आर्थिक परेशानियों से है दुखी तो आज ही अपनाएं लाल किताब के ये ख़ास उपाय
शादी-विवाह में रुकावट दूर करने के लिए ज्योतिषी से पूछिए सरल उपाय