आप सभी जानते हैं की ब्रह्माण्ड गोल है। और हर गोल वस्तु 360 अंश की होती है। ज्योतिष और विज्ञान के अनुसार सभी तारे और ग्रह, सूर्य के आगे-पीछे चक्कर लगाते रहते हैं ।
अब 360 अंश के इस पथ पर जहां यह तारे और ग्रह, सूर्य के आगे-पीछे लगातार चक्कर लगाते रहते हैं इस पथ को ज्योतिष विज्ञान मे 30-30 अंश के अनुसार 12 भागों में बाँट दिया गया है।
यही एक-एक भाग जन्म कुंडली का एक-एक खाना या भाव कहलाता है।
इन भावों को 12 अलग-अलग नामों से जाना जाता है । पहला भाव मेष, दूसरा वृषभ , तीसरा मिथुन , चौथा कर्क ऐसे ही आखिरी को मीन नाम से जाना जाता है । यह 12 के 12 भाव बारी-बारी से सूर्य के सामने से निकलते हुए एक के बाद एक आगे बढ़ते रहते हैं। एक भाग को सूर्य के समक्ष आने और पूरी तरह उस के सामने से गुजर जाने में लगभग 2 घंटे लगते हैं। 24 घंटों में यह सभी भाग सूर्य के सामने से गुजर जाते हैं और अगली सुबह फिर यही दोहराया जाता है।
अब जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो ज्योतिषी उस के जन्म का दिन तारीख़ और समय पूछता है। फिर पंचांग को देख कर यह जानता है की उस दिन बच्चें के जन्म के वक़्त सूर्य के सामने से कौन सा भाग गुजर रहा था। कुंडली में जो पहला ऊपर वाला खाना होता है उस में इस भाग का नाम जैसे की मेष इत्यादि का नाम या अंक लिख दिया जाता है। इस ऊपर वाले कुंडली के पहले खाने को लग्न भी कहा जाता है ।
नवरात्रि में कराएं माँ दुर्गा विशेष प्रभावशाली 9 दिनों का महापूजन एवं सप्तचण्डी पाठ , प्राप्त होगा मनचाहा आशीर्वाद - माँ महिषासुर मर्दिनी मंदिर, वाराणसी
इस के बाद कौन सा ग्रह उस वक़्त कौन से भाग अथवा राशि में चल रहा था उसी राशि या भाव में लिख दिया जाता है। कुल मिला कर एक नक्शा तैयार हो जाता है। बस इसी नक़्शे का नाम ही जन्म पत्रिका है । एक प्रकार से ग्रहों की स्थिति की कोडिंग ही जन्म कुंडली है। कोई भी ज्योतिषी कुंडली को देख कर आसानी से बता देगा की जन्म के वक़्त आकाश में कौन सा ग्रह किस भाग में चल रहा था और 30 अंशों के उस भाग के कितने अंश पार कर के कौन से भाग पर चल रहा था।
इसको सीखने में ज्योतिषियों को महीनों लग जाते हैं। अब इस के बाद ग्रहों की इस पोजीशन के अनुसार उस बच्चे पर भविष्य में क्या-क्या घटित होगा वो बड़ा हो कर जीवन में क्या-क्या करेगा और क्या बनेगा इस भाग को फलित ज्योतिष कहते हैं।
फलित में प्रत्येक कुंडली का खाना कुछ विशेष बातों से जुड़ा होता है । जैसे पहला खाना शरीर की बनावट सुंदरता दिमाग और आत्मा से जुड़ा है। जितने अच्छे ग्रह यहाँ होंगे उतनी सुंदरता शरीर की अच्छी बनावट आत्मा के अच्छे विचार इत्यादि। बुरे ग्रह यहाँ सब उल्ट कर देंगे।
पांचवां भाग विद्या और संतान के बारे बताएगा। ऐसे ही सातवां भाव जीवन साथी और प्रेम प्रसंगों से जुड़ा है । दसवां सरकारी नौकरी या राजनीति से जुड़ा है। ऐसे ही सभी ग्रहों का प्रभाव अलग अलग खाने में बैठने से अलग अलग होता है।इसी को ज्योतिष कहते है।
यह भी पढ़ें :
क्यों है यह मंदिर विशेष ? जानें वर्षों से कैसे जल रहा है पानी से दीपक
वास्तु शास्त्र के अनुसार सजाएं अपना घर, जानें मुख्य दिशाएं
नवरात्रि से जुड़ी यह कुछ ख़ास बातें नहीं जानतें होंगे आप !