साथ ही कुंडली के द्वितीय और एकादश भाव आर्थिक लाभ, सप्तम भाव मुख्य रूप से व्यवसायिक उन्नति के है।जब दशम भाव और इसका स्वामी बलवान स्थिति में है। साथ ही द्वितीय/एकादश भाव स्वामी बलवान स्थिति में दशम भाव से संबंध करे साथ ही बिजनेस(व्यापार व्यवसाय) स्वामी बुध अत्यंत बलवान है जैसे कन्या या मिथुन राशि का हो, सूर्य के साथ हो, लग्न में हो , वर्गोत्तम है ये अन्य तरह से बुध बलवान है तब बिजनेस में ही सफलता मिलेगी ,यदि दशम भाव स्वामी या दशम भाव का सप्तम+द्वितीय+एकादश इन तीनों भावो से या भावो के स्वामी से सम्बन्ध है ।
बुध बलवान हैं।तब बिजनेस में ही भाग्योदय होगा, बिजनेस में ही किस्मत चमककर सफलता मिलेगी ,साथ ही जब दशम भाव भावेश व्यापार योगों में हो लेकिन बुध कमजोर है, या दशम भाव/भावेश पर पाप ग्रहों का प्रभाव है तब नौकरी में ही सफलता मिलेगी क्योंकि पाप ग्रहों का प्रभाव नौकरी ही करायेगा, साथ ही दशम भाव, या दशम भाव स्वामी पर राहु केतु शनि या षष्ठम भाव स्वामी का प्रभाव है और बुध कमजोर है लेकिन दशम भाव, भावेश बलवान और राजयोगों में है , कुंडली में धनयोग है। तब नौकरी से ही भाग्योदय होगा।
अब कुछ उदाहरणों से समझते है कैसे?
उदाहरण अनुसार मेष लग्न :-
दशम+एकादश(कार्यक्षेत्र+व्यापार लाभ) भाव का स्वामी शनि है तो द्वितीय और सप्तम भाव(धन+व्यापार)स्वामी शुक्र है। अब दशम एकादश भाव स्वामी शनि तो द्वितीय सप्तम भाव स्वामी शुक्र आपस में बलवान होकर सम्बन्ध बनाकर बैठे हो और बुध बलवान है जैसे बुध तृतीय,षष्ठम, लग्न भाव में हो या सूर्य के साथ या वर्गोत्तम होकर बैठा हो तब बिजनेस से ही भाग्योदय होगा।
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उदाहरण तुला लग्न अनुसार :-
तुला लग्न में दशम भाव स्वामी चंन्द्र है तो द्वितीय+सप्तम भाव का स्वामी मंगल है।तो एकादश भाव स्वामी सूर्य है।अब यहाँ चन्द्र मंगल सूर्य आपस में सम्बन्ध बनाकर बैठे या द्वितीय/एकादश भाव/भावेश बलवान हो और दशमेश चन्द्रमा किसी शुभ योग, राजयोग में है और बुध अत्यंत बलवान है तब बिजनेस में ही सफलता मिलेगी।
इसके अलावा बुध कमजोर है और चन्द्रमा का सम्बन्ध सप्तम, और धन भाव से बलवान स्थिति में नही है लेकिन सफलता के योग है तब नौकरी में ही भाग्योदय होगा।
उदाहरण सिंह लग्न अनुसार -
यहाँ दशमेश शुक्र बलवान द्वितीय+एकादश भाव स्वामी बिजनेस कारक बुध से सम्बन्ध करे और बुध बलवान है अत्यंत तब बिजनेस में ही भाग्योदय होगा, साथ ही यहाँ व्यापार भाव सप्तम भाव स्वामी शनि है दशमेश शुक्र का संबंध शनि या सप्तम भाव से है और बुध बलवान है तब भी बिजनेस में ही भाग्योदय और बिजनेस में ही सफलता मिलेगी।
जबकि बुध कमजोर है और दशम भाव भावेश बलवान है तब नौकरी में ही सफलता मिलेगी।
इस तरह से दशम भाव का बलवान द्वितीय,एकादश या सप्तम भाव से सम्बन्ध और बुध का बलवान होना बिजनेस से भाग्योदय, सफलता करायेगा, जबकि बुध ज्यादा बलवान नही है तब दशम भाव बलवान है सफलता के योग है तब नौकरी से ही भाग्योदय होगा कुंडली अनुसार सही बिजनेस/सही नौकरी के क्षेत्र का चुनाव करने से।
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