- 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।
- कुल 13 अधारणीय वेग हैं
- 160 रोग केवल मांसाहार से होते है
- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
- 80 रोग चाय पीने से होते हैं।
- 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।
- शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।
- अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।
- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है।
- मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
- बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
- दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।
- टाई बांधने से आँखों और मस्तिष्क हो हानि पहुँचती है।
- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।
- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।
- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
- मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
- अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है।
- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी,सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औषधियां हैं।
- भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
- अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।
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