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कोरोना का ज्योतिष और अध्यात्म अध्ययन, समस्या और समाधान

पंडित सौरभ त्रिपाठी Updated 13 May 2021 07:00 PM IST
corona
corona - फोटो : Google
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कोरोना का अर्थ है, सूर्य के आसपास की बदलती हुई आभा, जो मुकुट के आकार की रंगीन होती है, अक्सर सूर्य ग्रहण के काल में देखी जाती है |

चीन के किसी इलाके में चमगादड़ ने अपनी लीद के जरिये कोरोना वायरस का अवशेष छोड़ा, जो अन्य जानवरों ने सूंघा और व्यक्तियों के सम्पर्क में आने के कारण विश्व में मनुष्यों में फ़ैल गया | कोरोना वायरस चीन में पैगालिन में पाया जाता है, जिससे  चीनी दवाइयां बनती है और चीन में इसका मांस खाया जाता है | अत: चमगादड़ और पेंगोलिन के विषाणु से फ़ैल गया है | 

आज के ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि शनि, मकर राशि में विराजमान है | गुरु, कुम्भ राशि में विराजमान है | राहु वृष राशि में | केतु , वृश्चिक राशि में और सूर्य, मीन राशि में विराजमान है | अत: जब तक शनि, मकर राशि में रहेगा अर्थात् 24-01-2020 से 15-06-2022 तक | शनि के मकर राशि में विचरण करने के कारण और गुरु भी वहाँ से 6 अप्रैल से कुम्भ में चला गया है, अत: 6 अप्रैल के बाद धीरे-धीरे सुधार की स्थिति बनेगी |

कोरोना का मुख्य कारण शनि, गुरु, राहू, केतु रहे है, इसलिए जनवरी 2020 से जून 2022 तक कोरोना का प्रभाव बना रहेगा I

 सूर्य से नक्षत्रों की दूरी 
  •  सूर्य से पृथ्वी की दूरी 14 करोड़ किलोमीटर है और सूर्य से नक्षत्रों की दूरी 20,600 गुना है, अत: 14 करोड़ × 20,600 = 3,10,300 करोड़ किलोमीटर |
  • स्वाति, घनिष्ठा, श्रवण से रवि मार्ग बहुत दूरी पर है, पृथ्वी तक नक्षत्रों का प्रकाश पहुँचने में 300 वर्ष लग जाते है | 
  • घनिष्ठा का 2 चरण मकर राशि में और 2 चरण कुम्भ राशि में तथा श्रवण का 4 चरण मकर राशि में है |
  • रोहिणी, पुष्य, चित्रा उनकी अपेक्षा कम दूरी पर है, पृथ्वी तक नक्षत्रों का प्रकाश पहुँचने में 3 से 4 वर्ष लग जाते हैं |
  • गुरु 80 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर, वर्तमान में घनिष्ठा के 3 चरण, कुम्भ राशि में है  
  • शनि 144 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर, वर्तमान में श्रवण नक्षत्र के 3 चरण , मकर राशि में है |
अक्षय तृतीया पर कराएं मां लक्ष्मी का श्री सूक्तम पाठ एवं हवन, होगी अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति - अंबाबाई महालक्ष्मी कोल्हापुर, 14 मई 2021

 आकाश में  पूर्वाभाद्र के 3 चरण, उत्तरभाद्र के 4 चरण, रेवती के 4 चरण में मीन राशि होती है | घनिष्ठा के 2 चरण, शतभिषा के 4 चरण, पूर्वभाद्र के 3 चरण में कुम्भ राशि होती है | उत्तराषाढ़ा के 3 चरण, श्रवण के 4 चरण, घनिष्ठा के 2 चरण में मकर राशि होती है |

तात्पर्य यह है कि गुरु, शनि वर्तमान में सबसे दूरी के नक्षत्रों में होने के कारण पृथ्वी पर असंतुलन की स्थिति उत्पन्न कर रहे है जब तक ये परिवर्तित नही होंगे, स्थिति संतुलित बनी रहने की आशंका है | जून
2022 के बाद स्थिति सामान्य होगी | गुरु जब तक शनि के साथ थे, तो स्थितियाँ कुछ नियंत्रण में थी किन्तु ६ अप्रैल से गुरु कुम्भ राशि में  जाने के बाद स्थितियाँ विस्फोटक हो गई हैं I शनि का मकर राशि से हटाने पर ही सुधर संभव होगा I 
 
 कोरोना से बचने के साधारण उपाय इस प्रकार है :- 
  •  हवन के लिए कपूर, लोभान, जौ, तिल, चंदन का मिश्रण बनाये |
  • गाय के गोबर का कंडा, आम की लकड़ी, जामुन की लकड़ी, पीपल की लकड़ी, नीम की लकड़ी |
  • मिट्टी के हवनकुंड में प्रतिदिन उपरोक्त सामग्री से हवन करें |
  • घी का दीपक जलाये ।
  • गौमूत्र और गंगाजल से घर में छिड़काव करें |
  • प्रतिदिन स्नान करें, वस्त्र बदलें, सफ़ेद, पीले, गुलाबी वस्त्रों को धारण करें |
  • घर के बाहर एक बाल्टी जल रखें, जिसमें नीम की पत्ती डालें | घर में प्रवेश से पूर्व उस जल से हाथ, पैर धोवें |
  • वायुतत्व एवं जलतत्व का असंतुलन हो गया है, अग्नितत्व की क्षीणता के कारण, कोरोना प्रकृति-प्रकोप के रूप में उभरा है , अत: प्राणायाम, व्यायाम, ध्यान, धूप-स्नान करना लाभदायक होगा |
  •  गर्म जल का सेवन करें| 
  • आधुनिक चिकित्सा की मदद भी लेते रहें |
  • तांबे की अंगूठी में माणिक धारण करने वाले लोग कोरोना से बच सकते है 
  • यदि माणिक और ताम्बा नही पहन पा रहे है, तो बेलपत्र की जड़ को गुलाबी कपड़े में बांधकर दाहिनी भुजा में धारण करें |
  • गुरु को प्रबल करने के लिए पीपल अथवा केले की जड़ भी साथ-साथ धारण करें |
  • अनंत मूल की जड़, चंदन का चूरा, समी की जड़, बेलपत्र की जड़, पीपल की जड़ पानी में उबालकर नहाने से भी रोगों का निदान हो सकता है | 
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