सूर्य, गुरु, शनि, मंगल, बुध एवं शुक्र अगर किसी एक राशि में एक समय पर प्रवेश कर जाए तो इससे बड़े युद्ध और क्रांतियों की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे महा दुर्लभ संयोग दशकों तक रहता है जिसका वर्णन नारद मुनि द्वारा रचित ग्रंथ मयूर चित्रम में किया गया है।
इससे पहले वर्ष 1962 में आए थे मकर राशि में साथ ग्रह
इससे पहले वर्ष 1962 में मकर राशि में नक्षत्रों का प्रवेश हुआ था। तब विश्व की 2 सबसे बड़ी शक्तियां अमेरिका और सोवियत संघ में युद्ध की स्थिति बनने लगी थी तथा यह पूरे विश्व के लिए एक चिंताजनक विषय बन गया था। इसके दुष्परिणाम यह हुए थे कि संपूर्ण विश्व 2 खेमों में बट गया था और शीत युद्ध का प्रारंभ हुआ था। यह युद्ध एक तरह से बहुत लंबे समय तक चला था तथा बहुत ही चिंताजनक विषय हुआ करता था।
इसके बाद वर्ष 1979 में सिंह राशि में पांच ग्रहों का प्रवेश हुआ था जिस वक्त इरान में मुस्लिम क्रांति हुई थी जिसने की संपूर्ण विश्व में उथल-पुथल मचा कर के रख दी थी। इसी क्रांति के कारण बहुत से देशों में आतंकवाद का असर पड़ने लगा तथा बहुत दिनों तक युद्ध चल रहे हैं। जो आज भी कई देशों में जारी है तथा भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। इस बार भी 10 फरवरी को जो संयोग बन रहा है वह भी इतिहास के हिसाब से कई बड़े बदलाव विश्व पटल पर ले कर के आ सकता है।
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भारत में गति पकड़ सकता है किसान आंदोलन
12 फरवरी की अमावस्या कुंडली का अध्ययन करने पर पता चलता है कि तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ घर में शनि, शुक्र, बुध, चंद्रमा, गुरु और सूर्य की युति का सहयोग किसान आंदोलन के उग्र होने का संकेत हमें दे सकता है। मकर राशि शनि और चंद्रमा का वैसे भी कृषि उत्पादों से विशेष चुनाव रहता है तथा यह कुछ होने का संकेत भी हो सकता है।
भूकंप और ओलावृष्टि बन रहे हैं योग
मेदिनी ज्योतिष के अनुसार मकर राशि पृथ्वी तथा जल तत्व से प्रभावित मानी जाती है। मेष राशि में भूमि पुत्र मंगल का होना भूकंप की स्थिति बनाती है। सूर्य और चंद्रमा 12 फरवरी के दिन पृथ्वी तत्व की नवांश में आकर भूकंप का संयोग बना रहे हैं।
इस स्थिति से ऐसा हो सकता है कि 15 फरवरी तक भारत के उत्तर भारत इलाके तथा पाकिस्तान के क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं। 12 फरवरी की अमावस्या के दिन बारिश व ओलावृष्टि के भी आसार दिखाई पड़ रहे हैं। इससे भारत के कई स्थानों पर फसल को नुकसान हो सकता है जिसे ओलावृष्टि आहत कर सकती है और ज्यादा बर्फबारी के कारण भारत में ठंड का मौसम भी खिंच सकता है।
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