घर बैठें श्राद्ध माह में कराएं विशेष पूजा, मिलेगा समस्त पूर्वजों का आशीर्वाद
श्राद्ध में हर दिन अलग-अलग श्राद्ध करनें का विधान हैं
अष्टमी श्राद्ध कर्म में आठ ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। श्राद्ध में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ व मिश्री मिश्रित जल की जलांजलि दें उसके उपरांत पितृ पूजन करें। पितृगण के निमित्त, गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, लाल फूल, लाल चंदन, तिल व तुलसी पत्ता समर्पित करें। जौ के आटे के पिंड समर्पित करें। फिर उनके नाम का नैवेद्य रखें। कुशासन पर बैठाकर पितृ के निमित्त भगवान विष्णु के गोविंद स्वरूप का ध्यान करते हुए गीता के आठवें अध्याय का पाठ करें व इस विशेष पितृ मंत्र का यथा संभव जाप करें। इसके उपरांत लौकी की खीर, पालक, पूड़ी, पालक की सब्ज़ी, मूंग दाल, हरे फल, लौंग-इलायची व मिश्री अर्पित करें। भोजन के बाद ब्राह्मणों को वस्त्र, मिश्री व दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 01 सितम्बर - 17 सितम्बर 2020
कौन होते हैं पितृ ?
परिवार के वह लोग जिनकी मृत्यु हो चुकी हैं , विवाहिता - अविवाहिता, बच्चे-बूढ़े , स्त्री-पुरुष जो भी हो उन्हें पितृ कहते हैं। घर में सुख शांति भी तभी होतीं है जब पितरों की आत्मा को शांति मिलती है । पितृ घर की खुशहाली देखते है और बिगड़ते काम भी बनाते है । अगर उनकी अनदेखी की जाए तो वह रुष्ट भी हो जाते है और बनते काम भी बिगड़ जाते हैं ।
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