आषाढ़ अमावस्या 2021: तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - हिंदी पंचांग के अनुसार 25 जून, 2021 से आषाढ़ मास की शुरुआत हो चुकी है। अभी आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है और हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है। इस बार ये तिथि 9 जुलाई, 2021 यानी शुक्रवार के दिन पड़ रही है। ऐसे तो अमावस्या की तिथि अपने आप में ही बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है मगर आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि की और भी अधिक मान्यता है। इसे हलहारिणी अमावस्या और आषाड़ी अमावस्या के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
आषाढ़ मास में होने के कारण इसे आषाड़ी अमावस्या कहते हैं ये तो आप समझ ही गए होंगे। अब बात रही हलहारिणी अमावस्या की तो ये नाम इसे एक विशेष कारण से दिया गया है। वो कारण ये है कि इस दिन किसान पूरी विधि के साथ हल और खेती में प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों का पूजन करते हैं। इसके पश्चात वो भगवान से ये याचना करते हैं कि उनकी फसल अच्छी, ज़्यादा और हरी-भरी हो।
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इसके अलावा ये दिन पितरों कि पूजा के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करने से और दान धर्म का काम करने से बहुत पुण्य मिलता है। पितरों की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। खासतौर से अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उसके लिए ये पूजा और भी आवश्यक और लाभदायक है।
अमावस्या की तिथि
जैसा कि हम ऊपर भी बात कर चुके हैं कि अभी आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि 9 जुलाई, 2021 यानी शुक्रवार को पड़ रही है। इस हिसाब आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि भी इसी दिन है। पूजा और व्रत दोनों इसी दोनों किया जाएगा।
अमावस्या शुभ मुहूर्त
इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या 9 जुलाई को प्रातः 5 बजकर 16 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 जुलाई को प्रातः 6 बजकर 46 मिनट पर उसका समापन होगा। इस आधार पर जिनको भी व्रत रखना है को अपना व्रत 9 जुलाई को रखेंगे और पारण अगले दिन 10 जुलाई को होगा।
अमावस्या की पूजा विधि
इस दिन विधिवत रूप से पितरों की पूजा करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। आप चाहें ती व्रत भी रख सकते हैं। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। मगर लाज़मी है ये हर किसी के लिए संभव नहीं है तो अगर आप गंगा में जाकर स्नान नहीं कर सकते तो किसी भी अन्य नदी या सरोवर के तट पर जाकर स्नान कर लें। अगर ये भी संभव ना हो तो गंगा जल पानी में मिलाकर उससे भी स्नान किया जा सकता है।
इसके पश्चात आप एक तांबे का लोटा ले लें और जल भरकर उसमें लाल चंदन और लाल रंग के फूल डाल दें। फिर इस जल से भगवान सुर्यनारायण को अर्घ्य दें। इसके अतिरिक्त इस दिन दान धर्म के काम करने से भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो किसी भी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। आप अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार कुछ भी दान कर सकते हैं। बस आपके मन की आस्था सच्ची और नेक होनी चाहिए।
फलाहार के साथ रखें अमावस्या व्रत
अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं तो ये काफ़ी शुभ माना जाता है और आपको काफ़ी पुण्य मिलता है। इसमें फलाहार के साथ व्रत रखा जाता है। तो जब तक आप व्रत में हों तब तक सिर्फ फलाहार वाले भोजन ही ग्रहण करें। अगले दिन पारण करने के बाद ही कुछ और खाएं।
आषाढ़ मास के अमावस्या कि द्धर्मिक मान्यताओं के अनुसार काफ़ी महत्ता है। किसान अपनी फसल को हर भरा रखने के लिए और बाकी लोग अपने पितरों का आशीर्वाद ग्रहण करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए इस दिन ज़रूर पूजा करें।
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