पूर्णिमा के बाद से अमावस्या तक की तिथियों को कृष्ण पक्ष कहते हैं । जिसका तात्पर्य यह है कि पूर्णिमा के बाद घटता हुआ चांद अमावस्या तक कृष्ण पक्ष का सूचक है।
अगर हम पूर्णिमा और अमावस्या के बीच अंतर करे तो पाएगें
पूर्णिमा शुक्ल पक्ष में आती है जबकि अमावस्या कृष्ण पक्ष में आती है। पूर्णिमा अमावस्या के बाद आती है । जब चंद्रमा अपना पूरृण आकार लेता है। जबकि अमावस्या पूर्णिमा के पश्चात आती है । जब चंद्रमा का आकार छोटा होने लगता है पूर्णिमा पर का उपवास भी किया जाता है । जबकि अमावस्या पर दान करना अच्छा होता है इस दिन इस भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है जबकि पूर्णिमा में सभी शुभ कार्य को करना अच्छा होता है ।
अमावस्या के दिन नदी में स्नान कर दान-पुण्य और पितृ तर्पण करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि को व्यक्ति को बुरे कर्म और नकारात्मक विचारों से भी दूर रहना चाहिए। इस साल कुल 14 अमावस्या पड़ेंगी। साल की पहली अमावस्या 12 जनवरी को होगी ।
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अमावस्या का है चन्द्र ग्रहण से भी सम्बन्ध : जैसा की हम सब अवगत है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है जिसे सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता उसे चंद ग्रहण कहते हैं
इसलिए चंद्र का सम्बन्ध अमावस्या से भी होता है
अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए
इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
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