सत्यनारायण की कथा मुख्य रूप से पूर्णिमा के दिन की जाती है। किसी भी शुभ कार्य से पहले यदि इनकी कथा का पाठकर इनका आवाहन किया जाए तो वह कार्य अवश्य ही सफल होता है। परंपरा स्वरुप सत्यनारायण भगवान की कथा को भारत वर्ष में बहुत श्रद्धा भाव के साथ घरों में और मंदिरों इत्यादि स्थानों में किया जाता है। श्री सत्यनारायण कथा को ब्राह्मणों द्वारा अथवा स्वयं जैसी संभव हो करना चाहिए।मान्यताओं के अनुसार संसार से मुक्ति का आधार स्वयं भगवान विष्णु है और इस कथा के माध्यम से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। सारा दिन व्रत रखकर संध्या समय में पूजा तथा कथा की जाती है। पूजा के उपरान्त भोजन ग्रहण किया जाता है. सत्यनारायण व्रत में स्नान, दान, जप और तप सभी का अपना विशेष महत्व होता है। सत्यनारायण भगवान की पूजा के लिए जरूरी चीजें - सत्यनारायण पूजा में केले के पत्ते और फलों का विशेष महत्व है। इनके साथ ही पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा भी रखी जाती है। पूजा में दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है। प्रसाद के रूप में हलवे का भोग लगाया जाता है।
श्री सत्यनारायण का पूजन महीने में एक बार पूर्णिमा या संक्रांति को किया जाना चाहिए। सत्यनारायण का पूजन जीवन में सत्य के महत्तव को बतलाता है। इस दिन स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें। माथे पर तिलक लगाएं और भगवान गणेश का नाम लेकर पूजन शुरु करें। जिससे विघ्नहर्ता सभी विघ्नों का नाश कर भक्तों को सुख -समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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